आने वाले पल से अनजान पार्लियामेंट के अंदर दोनों भवन में ताबूत घोटालों को लेकर सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच तीखी बहस चल रही थी तर्कों के साथ शुरू हुई संसद की कार्यवाही अब जोरदार हंगामे में बदल चुकी थी स्थिति को बेकाबू होता देख स्पीकर 40 मिनट के लिए सदन को पोस्टपोन कर देते हैं
जिसके बाद प्राइम मिनिस्टर अटल बिहारी वाजपई और लोकसभा में अपोजिशन की लीडर सोनिया गांधी का काफिला अपने सरकारी आवास की ओर निकल पड़ता है कई बड़े मंत्री और लीडर घर चले जाते हैं पर अभी भी पार्लियामेंट के अंदर कई बड़े मिनिस्टर्स मौजूद थे जिनमें होम मिनिस्टर कृष्णा आडवाणी और सुष्मा स्वराज समेत 200 से अधिक मेंबर्स शामिल थे
संसद में मौजूद सभी मेंबर्स में कोई अभी भी सदन में बैठकर अपने कलीग से डिस्कशन कर रहा था तो कोई कैंटीन और लाइब्रेरी में वक्त गुजार रहा था किसी को आने वाले पल की जरा भी भनक नहीं थी इन्हीं सबके बीच वाइस प्रेसिडेंट कृष्णकांत जी भी संसद को छोड़कर अपने सरकारी आवास की ओर निकलने के लिए तैयार थे उनके इंतजार में बिल्डिंग के गेट के बाहर कई गाड़ियां लाइन से खड़ी थी
संसद के गार्ड्स की नजर वाइस प्रेसिडेंट कृष्णकांत जी की ओर थी जो गेट नंबर 11 की ओर तेजी से बढ़ रहे थे कृष्णकांत जी को आता देख सभी गार्ड्स अपनी-अपनी पोजीशंस ले लेते हैं लेकिन तभी 11:4 पर एक सफेद रंग की एंबेसडर कार तेजी से पार्लियामेंट के अंदर आती हुई दिखाई देती है वैसे तो किसी आम गाड़ी या इंसान का बिना परमिट पार्लियामेंट के अंदर आना मना है पार्लियामेंट तक आने के लिए कई जगह चेक पॉइंट्स बने हुए हैं
लेकिन चालाकी और छल की मदद से गाड़ी आसानी से पार्लियामेंट की दहलीज को लांग गई इजी एंट्री के लिए गाड़ी के ऊपर लाल रंग की बत्ती लगी थी साथ ही गाड़ी के विंडशील्ड पर होम मिनिस्ट्री का स्टीकर लगाकर वीआईपी एंट्री ली गई थी संसद के अंदर आने तक किसी ने इस गाड़ी पर शक नहीं किया लेकिन जब गाड़ी पार्लियामेंट के अंदर घुसते ही अपनी स्पीड को और तेज कर गेट नंबर एक की ओर तेजी से बढ़ने लगती है
तो सीआरपीएफ कांस्टेबल "कमलेश कुमारी" ने गाड़ी को तेजी से बढ़ता देख कुछ अनयूजुअल नोटिस किया कमलेश कुमारी ने हाल ही में पार्लियामेंट की सिक्योरिटी के लिए काम करने वाली ब्रावो कंपनी को जवाइन किया था जिस वक्त गाड़ी पार्लियामेंट में एंट्री लेती है तब कमलेश कुमारी सिक्योरिटी राउंड के लिए निकली थी गाड़ी की रफ्तार और डायरेक्शन को देखकर उन्हें थोड़ा शक हुआ अपने शक को कंफर्म करने के लिए कमलेश कुमारी ने फॉरेन वॉच एंड वॉच स्टाफ जेपी यादव को गाड़ी को रोक कर चेक करने को कहा
लेकिन गाड़ी इतनी रफ्तार में थी कि उसे रोक पाना मुश्किल था जिस कारण कमलेश कुमारी गाड़ी को रोकने के लिए उसकी तरफ भागी और अपने आर्म्स को खोलकर उसे रोकने की कोशिश करने लगी गाड़ी में बैठे आतंकियों को यह देखकर कुछ समझ नहीं आया और कंफ्यूजन में गाड़ी वाइस प्रेसिडेंट के कन्वोय से टकरा गई इस वक्त तक वाइस प्रेसिडेंट कृष्णकांत जी बाहर आते-आते किसी काम की वजह से वापस पार्लियामेंट के अंदर चले गए थे
वाइस प्रेसिडेंट के कन्वोय से टकराने के बाद गाड़ी पार्लियामेंट के ही एक गार्डन में जाकर रुक गई जहां एक गार्डनर मौजूद था खुद को बचाने के लिए वह वही पास में ही छुप गया लेकिन गाड़ी में मौजूद आतंकियों ने उसे देख लिया था जिस कारण वह जैसे ही गाड़ी से बाहर निकले उन्होंने सबसे पहले कमलेश कुमारी और फिर गार्डनर देशराज को अपना निशाना बनाया सभी टेररिस्ट के पास ak47 राइफल्स ग्रेनेड लॉन्चर्स और हैंड गन मौजूद थी
इनकी तैयारी से अनजान जेपी यादव भी उन्हें रोकने के लिए उनकी ओर बढ़े लेकिन जेपी यादव भी खुद को बचाने में असमर्थ रहे और अपनी जान गवा दी हालांकि अपने साहस का परिचय देते हुए इन्होंने अपनी आखिरी सांस लेने से पहले पार्लियामेंट के इमरजेंसी अलार्म को बजाकर सभी को चेतावनी दे दी थी जिस कारण पार्लियामेंट में मौजूद सभी सिक्योरिटी पर्सनल्स हरकत में आ गए प्लान में शामिल हर आतंकी के पास एक-एक बैकपैक मौजूद था जिसमें ग्रेनेड्स के साथ कई तरह के हथियार मौजूद थे अटैक करने के बाद आतंकियों का पहला टारगेट पार्लियामेंट की लॉबी में एंट्री कर सभी सांसदों को हॉस्टेस बनाने का था
जिसके लिए उन्होंने लगातार हवाई फायरिंग करनी शुरू कर दी पूरा पार्लियामेंट गोलियों की तड़पड़ा हट से सहम उठा संसद में मौजूद मेंबर्स को बाहर की आवाज तो सुनाई दे रही थी पर कोई इंफॉर्मेशन ना होने के कारण उन्हें बाहर का हंगामा हमेशा की तरह विपक्षी पार्टी का प्रोटेस्ट लगा लेकिन वह वक्त दूर नहीं था जब सभी मेंबर्स के बाहर की सिचुएशन को जानने के बाद होश उड़ने वाले थे
यह वही वक्त था जब संसद में मौजूद पार्लियामेंट्री अफेयर मिनिस्टर प्रमोद महाजन के फोन की घंटी बजती है फोन को उठाते ही प्रमोद महाजन के होश उड़ जाते हैं 2 मिनट के लिए तो उन्हें विश्वास ही नहीं होता कि पार्लियामेंट पर अटैक हुआ है वो भी टेररिस्ट अटैक इंफॉर्मेशन मिलते ही प्रमोद महाजन सभी मेंबर्स को अटैक की खबर देते हैं जिसके बाद संसद में हंगामा मच जाता है हर कोई डर से सहमा हुआ होता है
पार्लियामेंट की सिक्योरिटी में लगी पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विसेस अपना पहला कदम उठाते हुए बिल्डिंग की सभी खिड़कियों और दरवाजों को बंद कर देते हैं कमलेश कुमारी और जेपी यादव को मारकर सभी टेररिस्ट दो और तीन के ग्रुप में बढकर तेजी के साथ गेट नंबर पांच की ओर बढ़ते हैं जहां से प्राइम मिनिस्टर का आना जाना होता था इस गेट के एक्सेस के साथ आतंकी सीधे पार्लियामेंट के अंदर आ सकते थे लेकिन यहां मौजूद सिक्योरिटी को जेपी यादव के कारण पहले ही इंफॉर्मेशन मिल चुकी थी और उन्होंने यहां के दरवाजे को बंद कर दिया था जिस कारण आतंकी बोखला और लगातार फायरिंग करते हुए दूसरे गेट की ओर बढ़ने लगे
लेकिन यहां इन आतंकियों पर पहले से ही घात लगाए बैठे सीआरपीएफ कांस्टेबल संतोष कुमार ने एक-एक करके सभी को छलनी कर दिया कांस्टेबल कुमार ने पहले दो आतंकियों पर निशाना साधा और फिर तीसरे को टारगेट किया लेकिन अपने बचाव में तीसरे आतंकी ने लगातार कांस्टेबल कुमार पर अपनी एके 47 से वार करने की कोशिश की पर एग्जैक्ट लोकेशन पता ना होने के कारण इसका कोई फायदा नहीं हुआ जिसके बाद कांस्टेबल कुमार की तीसरी गोली से आखिरी आतंकी भी मारा जाता है इस वक्त तक तीन आतंकी खत्म किए जा चुके थे पर अभी भी दो टेररिस्ट जिंदा थे और दोनों लगातार फायरिंग करते हुए अलग-अलग गेट्स की ओर बढ़ रहे थे
लेकिन जब दोनों ने देखा कि पार्लियामेंट के सभी दरवाजे बंद हो चुके हैं तो इनमें से एक ने दूरदर्शन केबल की मदद से पार्लियामेंट के फर्स्ट फ्लोर पर क्लाइम करने की कोशिश की लेकिन इसकी इस कोशिश को जवानों ने गोली मारकर नाकाम कर दिया पर गोली लगने के बाद भी यह आतंकी हार नहीं माना और वापस से उठकर पुलिस वालों की तरफ ग्रेनेड फेंककर गेट नंबर पांच की ओर जाने लगा पर पुलिस के लगातार फायरिंग के कारण गेट नंबर पांच पर पहुंचने से पहले ही इसकी मौत हो गई
लेकिन अभी भी संसद पर वार करने वाला आखिरी आतंकवादी बचा हुआ था इसे अंदाजा था कि इसका यहां से सही सलामत निकलना नामुमकिन है पार्लियामेंट के अंदर जाने के भी सभी रास्ते बंद थे जिस कारण गुस्से में इसने पार्लियामेंट के मेन एंट्रेंस गेट नंबर एक की ओर रुख किया और वहां ज्यादा से ज्यादा डैमेज करने के लिए खुद को बम से उड़ा लिया चारों ओर धुआ और इंसान की जलने की गंध फैल गई थी हर कोई डरा हुआ था मीडिया हर खबर को लगातार टेलीकास्ट कर रही थी
मीडिया के भी कई लोगों को चोटें आई थी पांचवें आतंकी के मरने के बाद भी पुलिस और पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस की यूनिट अपनी-अपनी पोजीशन से हिली नहीं किसी को नहीं पता था कि असल में कितने आतंकवादियों ने हमला किया था लेकिन जब लंबे वक्त तक सामने से कोई फायरिंग नहीं हुई तो पुलिस बाहर आई जिसके बाद एंबुलेंस की एक-एक करके कई गाड़ियों ने पूरे पार्लियामेंट के आगे भीड़ लगा दी
पार्लियामेंट के एक-एक कोने की चेक चकिंग की गई मीडिया ने भी संसद के बाहर लाइव रिपोर्टिंग शुरू कर दी हर तरफ खबरों में बस पार्लियामेंट हमले की ही बात चल रही थी हमले के पूरे 3 घंटे बाद सभी पार्लियामेंट मेंबर्स को संसद से बाहर लाया गया करीब 45 मिनट तक चले इस आतंकी हमले में संसद के सुरक्षाकर्मी और दिल्ली पुलिस ने अपने पूरे साहस के साथ आतंकियों के हमले का मुंह तोड़ जवाब दिया और पांचों आतंकियों को मार गिराया
हालांकि आतंकियों का सामना करने में दिल्ली पुलिस के छह ऑफिसर्स और पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस के दो सुरक्षाकर्मी वीरता और साहस का एग्जांपल सेट करते हुए अपने प्राण देश के लिए निछावर कर गए जिंदगी और मौत की इस लड़ाई में एक गार्डनर की भी जान चली गई साथ ही करीब 18 लोग घायल हो गए पार्लियामेंट पर हुए इस हमले के बारे में किसी को कोई भनक नहीं थी कोई यह भी नहीं जानता था कि हमला करने वाले पांचों लोग कौन हैं
लेकिन उनके पास से बरामद हुए सामान से यह साफ हो गया था कि यह किसी और का नहीं बल्कि पाकिस्तान का ही काम है सभी टेररिस्ट के पास मौजूद बैग्स में अच्छी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स मिले जो इन्होंने सांसद को हॉस्टेस बनाने के बात के लिए रखे थे इनका मकसद पार्लियामेंट के अंदर बैठकर हॉस्टेस के जरिए भारत सरकार से अपनी डिमांड को मनवाने का था इन्वेस्टिगेशन में इनके द्वारा लाई गई एंबेसडर कार में करीब 30 किलो एक्सप्लोसिव मिला
जिससे यह साफ हो गया था कि एक गाड़ी को पार्लियामेंट के अंदर लेकर जाने वाले थे और वहां इन एक्सप्लोजिव्स का इस्तेमाल करते आतंकवादियों ने इस अटैक को भले ही 13 दिसंबर 2001 को अंजाम दिया था लेकिन इस अटैक की प्लानिंग काफी समय पहले से चल रही थी
दरअसल 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 814 को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था जिसके बाद प्लेन को दिल्ली की जगह अफगानिस्तान ले जाया गया यहां आतंकियों ने भारत सरकार से नेगोशिएशन किया और आखिरी में हॉस्टेस को छुड़ाने के लिए भारत सरकार को तीन टेररिस्ट को रिलीज करना पड़ा रिलीज किए गए तीन टेररिस्ट में एक मौलाना मसूद अजहर भी था भारत की जेल से रिहा होने के बाद मसूद अजहर 2000 में जिहादिस्ट टेररिस्ट ग्रुप जयश मोहम्मद को बनाता है
और भारत पर अटैक करने की प्लानिंग शुरू कर देता है उसे कैसे भी करके भारत सरकार से बदला लेना था और इस बदले की आग में अजहर ने लोकतंत्र के मंदिर पार्लियामेंट पर अटैक करने का प्लान बनाया हालांकि प्लान को बनाने के लिए सबसे पहले अजहर को कुछ लड़कों की जरूरत थी जो उसके नापाक इरादों को पूरा करने के काम आने वाले थे अजहर कश्मीर के कुछ ऐसे लोगों की तलाश में था जो उसके इस मंसूबे को पूरा कर सके अजहर ने इस मिलिटेंट ग्रुप को तैयार करने के लिए इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 814 के हाईजैकर्स में से एक मोहम्मद आलिया सनी अहमद काजी की मदद ली
अहमद काजी के साथ मिलकर पांच लड़कों का एक ग्रुप तैयार किया गया इस ग्रुप में सभी वह लोग थे जो अजहर के मकसद को पूरा करने के लिए अपनी जान भी दे सकते थे ग्रुप बनाने के बाद अजहर ने पार्लियामेंट अटैक को खुद प्लान किया भारतीय जेल में वक्त बिताने के कारण अजहर को भारत की अच्छी जानकारी हो गई थी जम्मू के कोर्ट भलवाल जेल में सजा काटते समय अजहर ने भारत से जुड़ी काफी इंफॉर्मेशन इकट्ठा कर ली थी अजहर जानता था कि पूरी दिल्ली और इवन पार्लियामेंट के आसपास की सिक्योरिटी भी काफी अच्छी नहीं है
पार्लियामेंट की ओर जाती सड़कों पर गाड़ियों की प्रॉपर छानबीन के लिए ना कोई टाइट सिक्योरिटी है और ना ही कोई बैरिकेट्स लगे हुए हैं बस इसी वीक सिक्योरिटी का फायदा उठाकर अजहर अपने मंसूबों को पूरा करना चाहता था उसे यह भी पता था कि इस एरिया में सीसीटीवी कैमरा की संख्या भी काफी कम थी इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर अजहर ने अपनी टीम को पूरा प्लान समझाया पार्लियामेंट के मेन गेट को राइट साइड से जाकर इजली एक्सेस किया जा सकता था
लेकिन यहां तक पहुंचना इतना भी आसान नहीं था जिस कारण पैदल जाने की जगह गाड़ी के इस्तेमाल को प्रायोरिटी दी गई प्लान के हिसाब से सभी आतंकियों को गेट नंबर एक के पास आकर मूविंग कार से जंप करना था और कार में ग्रेनेड फेंकना था जिससे मूविंग कार गेट नंबर 12 पर पहुंचकर ब्लास्ट हो जाए जिससे पार्लियामेंट की पूरी सिक्योरिटी गेट नंबर 12 की ओर भागेगी और इस बीच सभी टेररिस्ट गेट नंबर एक से पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में घुस जाएंगे और
सभी एमपीज को हॉस्टेस बनाकर मसूद अजहर को कॉल करके इंफॉर्मेशन प्लान को एग्जीक्यूट करने के लिए मसूद अजहर ने गाज बाबा नाम के एक पाकिस्तानी नेशनल से कांटेक्ट किया जो पहलगाम कश्मीर में अंडरकवर होकर रह रहा था गाज बाबा का काम पांचों लोगों के फिदाई स्क्वाड को कुछ दिन अपने पास रखकर शेल्टर देने का था साथ ही उसे सभी आतंकियों को दिल्ली तक पहुंचाने का काम भी पूरा करना था लेकिन अंडरकवर रहने के कारण गाज बाबा खुद इन आतंकियों को दिल्ली तक नहीं पहुंचा सकता था इसलिए उसने अफजल गुरु से मदद ली अफजल गुरु जम्मू एंड कश्मीर लिबरेशन फ्रंट जेकेएलएफ का एक फॉर्मर मिलिटेंट था
एक समय पर अफजल गुरु भी आतंकवाद का हिस्सा था लेकिन टेररिज्म को छोड़ने के बाद अफजल मेडिकल इक्विपमेंट्स की सेलिंग में एक कमीशन एजेंट के तौर पर काम करने लगा गाज बाबा जानता था कि अफजल गुरु आराम से फिदाई स्क्वाड को दिल्ली तक पहुंचा सकता है शुरुआत में अफजल ने गाज के काम को करने से मना कर दिया लेकिन पैसे ज्यादा ऑफर करने पर अफजल का मन फिसल गया और वह इस टास्क को कंप्लीट करने के लिए राजी हो गया इसके बाद अफजल ने सबसे पहले फाइव मेंबर फिदान स्क्वाड को दो ग्रुप में बांटकर दिल्ली के अलग-अलग लोकेशंस पर छिपकर रहने के लिए जगह दे दी उसके बाद दिल्ली के ही एक लोकल कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर से सभी के लिए फेक आइडेंटिटी कार्ड्स बनवाए गए अब प्लान को एग्जीक्यूट करने के लिए इन्हें एक गाड़ी की जरूरत थी
जिस कारण सभी ने करोल बाग जाकर वहां से एक वाइट एंबेसडर कार को खरीद लिया साथ ही कश्मीरी गेट से एक रेड बीकन भी खरीदी जिसके इस्तेमाल से अटैक वाले दिन सभी चेक पॉइंट्स को इजली पार किया जा सकता था अटैक से पहले कई दिनों तक सभी ने प्लानिंग की और अटैक से एक हफ्ता पहले सभी दिल्ली के होलसेल स्पाइस मार्केट खारी बावली को विजिट करते हैं अफजल ने यहां से काफी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स खरीदे जिनका इस्तेमाल हॉस्टेस की सिचुएशन में किया जाना था ड्राई फ्रूट भी था खाने वगैरह थे इसके बाद सभी ने ब्लैक मार्केट से कई केमिकल्स भी परचेस किए जिसके इस्तेमाल से एक्सप्लोजिव्स बनाए जा सकते थे पूरी प्रिपरेशन खत्म होने के बाद सभी अपना आखिरी मील लेने के लिए ओल्ड दिल्ली के एक फेमस रेस्टोरेंट को विजिट करते हैं जहां सभी पेट भरकर मटन और कबाब खाते हैं यह मील इनकी लाइफ का आखिरी मील भी हो सकता था
जिस कारण अफजल सभी को जितना मन करे उतना खाने को कहता है बस इसी दिन के बाद सभी अपनी मौत को दावत देने के लिए 13 दिसंबर को फुल प्रिपरेशन के साथ पार्लियामेंट पर अटैक करने के लिए निकल जाते हैं पर अफसोस संसद को तबाह करने का इनका मकसद केवल मकसद ही बनकर रह जाता है अटैक के बाद जहां एक तरफ पुलिस की इन्वेस्टिगेशन चल रही थी लोग अरेस्ट हो रहे थे तो वहीं दूसरी ओर भारत सरकार भी ईंट का जवाब पत्थर से देने के लिए तैयार हो रही थी
अपने देश पर ऐसा हमला होता देख भारत आखिर कैसे चुप बैठ सकता था अटैक के कुछ समय बाद ही अटल बिहारी वाजपेई लाइव आकर इस बात की अनाउंसमेंट करते हैं कि भारत के लिए आतंकवाद एक बड़ी चुनौती है और अगर दुश्मन हम पर वार करता है तो हम भी जवाब देने के लिए तैयार हैं संसद भवन के बाहर आतंकवादियों की पड़ी हुई लाशें उनका पाकिस्तानी होने का सत्य हमने पहले भी कहा था और अब फिर दोहरा रहे हैं कि आतंकवाद का खात्मा हम अपने बल पर करेंगे पीएम की शॉर्ट स्पीच के साथ ही होम मिनिस्टर एल के आडवानी ने भी साफ शब्दों में कहा था कि भारतीय संसद को चोट पहुंचा ने का काम पाकिस्तानी टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन लश्करए तयबा और जैश ए मोहम्मद ने एक साथ मिलकर किया है और यह ऑपरेशन पाकिस्तान की आईएसआई के गार्डेंस में किया गया है अटैक करने वाले पांचों टेररिस्ट पाकिस्तान के रहने वाले हैं
भारत इस अटैक को हल्के में नहीं लेगा और दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा इसके बाद जल्द ही इंडियन आर्मी को पाकिस्तान की सीमा की ओर मोबिलाइज किया जाने लगा और अटैक के दो दिनों के बाद ही भारत ने 15 दिसंबर 2001 को ऑपरेशन पराक्रम लॉन्च कर दिया भारतीय सेना ने बलेंस्टिक मिसाइल टैंक मोटर आर्टिलरी और 5 लाख से अधिक सैनिकों को पाकिस्तानी सीमा पर तैनात कर दिया पूरी दुनिया में न्यूज़ फ्लैश होने लगी कि भारत पाकिस्तान पर अटैक करने वाला है
सभी देशों की भारत के एक-एक कदम पर नजर थी हर कोई भारत के अगले एक्शन का वेट कर रहा था इस ऑपरेशन को लॉच करने के लिए भारत इतना सीरियस था कि 10 महीनों के लिए सभी आर्मी अफसरों और सैनिकों की छुट्टियों को रद्द कर दिया गया भारत तैयार था हालात नाजुक बने हुए थे किसी भी वक्त भारतीय सेना एलओसी क्रॉस कर पाकिस्तान पर हमला कर सकती थी
लेकिन तभी कुछ ऐसा होता है जिसने पूरे ऑपरेशन की दिशा ही बदल जाती है दरअसल इस बीच पाकिस्तानी प्रेसिडेंट जनरल परवेज मुशर्रफ का एक बयान सामने आता है जिसमें कहा जाता है कि पाकिस्तान अपनी ओर से आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देगा परवेज मुशर्रफ के स्टेटमेंट के साथ ही पाकिस्तान में छह टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशंस को बैन कर दिया जाता है दरअसल परवेज मुशर्रफ ने इस तरह का बयान सिर्फ इसलिए दिया था जिससे इंटरनेशनली भारत पर प्रेशर पड़े और वह वॉर को रोक दे मुशर्रफ के बयान से ऐसा लगा जैसे वह भारत से वॉर नहीं बल्कि दोस्ती चाहता है
लेकिन आने वाले सालों में यह बात भी गलत साबित हुई मुशर्रफ के स्टेटमेंट के बाद भारत पर वॉर को रोकने का प्रेशर बना हुआ था जिस कारण वॉर की पूरी तैयारी होने के बाद भी पाकिस्तान की सोची समझी चाल के कारण भारत को वॉर रोकना पड़ा जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेई ने एक स्टेटमेंट रिलीज करते हुए वॉर पर क्लेरिटी देते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान पर कोई अटैक नहीं करेगा
पीएम के स्टेटमेंट के साथ ही सेना को अपना कदम रोकना पड़ा और फाइनली अक्टूबर 2002 में भारत की ओर से ऑपरेशन पराक्रम की समाप्ति की घोषणा की गई इस ऑपरेशन के जरिए पाकिस्तान को इतना तो समझ में आ गया कि भारत आतंकवाद को ना शरण देता है और ना सहता है फिर चाहे उसके लिए जंग ही क्यों ना करनी पड़े
भारत ने पाकिस्तान पर अटैक तो नहीं किया लेकिन भारत के लिए पार्लियामेंट अटैक में जिम्मेवार हर एक मुजरिम को सजा देना जरूरी था भारत के पार्लियामेंट पर अटैक की खबर पूरी दुनिया में आग की तरह फैल चुकी थी हमला बड़ा था इसलिए इन्वेस्टिगेशन भी बड़े लेवल पर शुरू की गई दिल्ली पुलिस इस घटना की डिटेल इन्वेस्टिगेशन शुरू करती है सबसे पहले पार्लियामेंट के हर एक एरिया को एग्जामिन किया जाता है उसके बाद अटैक के लिए इस्तेमाल की गई कार के बारे में पता लगाया जाता है कार के साथ प्रूफ के तौर पर पुलिस के पास आतंकियों के फोन भी मौजूद होते हैं
जिनमें पड़े सिम पुलिस के लिए बेहद मददगार साबित होते हैं सिम और गाड़ी की बदौलत जल्द ही जयश एम मोहम्मद के चार आतंकवादियों को पोटा कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया जाता है इन चार लोगों में अफजल गुरु उसका चचेरा भाई शौकत हुसैन गुरु शौकत की पत्नी अफजान गुरु और डीयू के प्रोफेसर एसए आर गिलानी शामिल होते हैं एसए आर गिलानी मूल रूप से कश्मीर के बारामूला जिले के रहने वाले थे और उस वक्त दिल्ली यूनिवर्सिटी में अरबी भाषा के प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाया करते थे
गिरफ्तारी के बाद आगे की जांच में यह साफ हो चुका था कि सभी आतंकी पाकिस्तान से थे अटैक में पाकिस्तान की आईएसआई का भी इवॉल्वमेंट था भारत की जनता अटैक में शामिल लोगों के लिए फांसी की सजा की मांग कर रही थी लेकिन पुलिस की कार्रवाई और कोर्ट के फैसले से पहले ले कुछ भी नहीं कहा जा सकता था गिरफ्तारी के बाद पुलिस सभी आतंकियों को रिमांड पर ले लेती है सभी पर मुकदमा चलाया जाता है लेकिन सबूत के अभाव में एक लंबे ट्रायल के बाद शौकत की पत्नी अफजान को रिहा कर दिया जाता है वहीं बाकी तीनों को दिल्ली के पोटा कोर्ट में फांसी की सजा सुनाई जाती है वहीं
2003 में इस हमले के मास्टर माइंड और जयश मोहम्मद के कमांडर इन चीफ गाज बाबा को बीएसएफ ने श्रीनगर के नूर बाग इलाके में मार गिराया पोटा कोर्ट से फांसी की सजा मिलते ही तीनों लोग दिल्ली हाई कोर्ट में चैलेंज करते हैं गिलानी का केस उस समय सबसे फेमस और महंगे एडवोकेट राम जेठ मलानी लड़ते हैं इसका केस लड़ने के पीछे इस केस की पॉपुलर थी अटैक के बाद गिलानी दिल्ली में काफी पॉपुलर हो चुका था कई लोग गिलानी को सपोर्ट कर रहे थे जिसके बाद 2003 में सबूतों के अभाव में गिलानी को भी छोड़ दिया जाता है हालांकि शौकत और अफजल की फांसी अभी भी बरकरार थी लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट शौकत की फांसी की सजा को 10 साल की कठोर सजा में बदल देता है
अफजल गुरु को इस घटना का मुख्य आरोपी मानते हुए 20 अक्टूबर 2006 को फांसी की सजा देना तय किया गया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 20 अक्टूबर 2006 को अफजल गुरु को फांसी दी जानी थी फांसी की तैयारियां पूरी की जा चुकी थी पर फांसी से 7 दिन पहले इस घटना में एक रोचक मोड़ आता है अफजल की फैमिली दिल्ली आकर प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम से मिलती है इस मुलाकात से काफी चिंगारियां उठती है मीडिया हर एक छोटी चीज को कवर करती है शहीदों के परिवार इस मुलाकात से सख्त नाराज थे थे जिस कारण स्थिति हाथ से निकल रही थी लोग इस कदर भड़क उठे थे कि हमले में शहीद हुई कमलेश देवी के परिवार वाले अशोक चक्र लौटाए जाने की बात भी सामने रखते हैं
अफजल के परिवार वाले प्रेसिडेंट से मर्सी पिटीशन की गुहार लगाते हैं इन सभी चीजों के चलते कलाम कोई कदम नहीं उठाते और अफजल के परिवार वालों की मुलाकात खराब जाती है इसके बाद कई सालों तक अफजल की फांसी को लेकर मामला लटका रहता है लेकिन 2013 में फांसी से केवल कुछ दिन पहले 3 फरवरी को प्रेसिडेंट प्रणव मुखर्जी अफजल की मर्सी पिटीशन को रिजेक्ट कर देते हैं जिसके बाद फाइनली 9 फरवरी 2013 को सुबह 8 बजे अफजल गुरु को फांसी दे दी जाती है
अफजल की मौत के साथ ही पार्लियामेंट अटैक के सभी दोषियों को सजा दी जा चुकी थी हालांकि इतनी सुरक्षा होने के बाद भी पांच आतंकवादियों का पार्लियामेंट पर अटैक करना एक बड़ा इंटेलिजेंस फेलियर था इस हमले के बाद भारत को अपनी सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए मजबूर होना पड़ा पार्लियामेंट की सुरक्षा को और सख्त किया गया अब पार्लियामेंट में अंदर जाने के लिए हर व्यक्ति को पहले से अधिक जा से गुजरना पड़ता है इस हमले के लिए दिल्ली के अंदर ही बैठकर कई लोग महीनों से प्लानिंग कर रहे थे लेकिन इंडियन इंटेलिजेंस एजेंसी इस हमले को भांप नहीं सकी यह बेहद अफसोस जनक था.