आरएसएस यह कैसा नाम है जिसका जिक्र होते ही राजनीति के गलियारों की धड़कन बढ़ जाती है यह समाज के भीतर कहीं एन कहीं देश के सबसे बड़े परिवार के तौर पर अपनी पहचान करवाता है लेकिन यहां सवाल यह नहीं की आरएसएस का मतलब क्या है सवाल यह है की आरएसएस क्या एक सामाजिक संगठन है या फिर राजनीतिक ये सांस्कृतिक तौर पर कम करता है या फिर राजनीति तौर पर या फिर इसका कुछ और ही कम है
तो चलिए जरा पीछे चलते हैं कुछ इतिहास के पन्नों को टटोल लेते हैं और जानते हैं आरएसएस का इतिहास क्या है और इसे क्यों बनाया गया साथ ही ये भी की आज इसका जिक्र करना इतना इंपॉर्टेंट क्यों है लिए शुरू करते हैं हिस्ट्री ऑफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस साल 1960 बंगाल में आजादी के संघर्ष के लिए क्रांतिकारी ने अनुशीलन समिति के नाम से एक क्रांतिकारी संगठन खड़ा किया
नागपुर से डॉक्टर की पढ़ करने आए केशव बलराम हेडगेवार भी इस संगठन का हिस्सा बने और जेल भी गए दादा भाई नौरोजी ने उसे वक्त गर्म सोच के नायक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को कांग्रेस में आने का न्योता दिया तो हेडगेवार भी कांग्रेस में उनके साथ ही ए गए हेडगेवार ने कांग्रेस के साथ काफी समय तक कम किया लेकिन
1917 में तुर्की के खलीफा की गद्दी छीन जाने के विरोध में पूरे हिंदुस्तान में खिलाफत मूवमेंट की शुरुआत हो गई और गांधी जी की अगवाई में कांग्रेस ने भी इसका समर्थन किया लेकिन डॉक्टर हेडगेवार को कांग्रेस द्वारा खिलाफत मूवमेंट से जुड़ने वाली बात परेशान कर रही थी उन्हें यह बात अंदर ही अंदर चुप रही थी क्योंकि उन्होंने इसे मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति माना हालांकि नाराजगी के बाद भी दो हेडगेवार कांग्रेस का हिस्सा बने रहे बल्कि 1922 में नागपुर कांग्रेस अधिवेशन और 1925 की कोलकाता अधिवेशन में भी डॉक्टर हेडगेवार मौजूद द लेकिन इस घटना के बाद डॉक्टर जो हिंदुओं के हितों को लेकर चले और आगे बढ़े उन्होंने इसकी शुरुआत अपने घर से ही की
कहा जाता है की शुरुआत में डॉक्टर हेडगेवार को सुनने के लिए सिर्फ 12 लोग ही पहुंचे द लेकिन 12 से 1200 बनने में वक्त नहीं लगा धीरे-धीरे समय बदलता गया और एक समय ऐसा भी आया जब हजारों की संख्या में लोग डॉक्टर हेडगेवार के विचारों से प्रभावित होने लगे थे और इसी के साथ अब संघ की स्थापना का रास्ता साफ नजर आ रहा था
डॉक्टर हेडगेवार के लिए यह कम इतना आसान नहीं था इस रास्ते में कई सारी प्रॉब्लम्स पैर पसारे खड़ी थी कहा जाता है की डॉक्टर हेडगेवार जी ने खुद शाखा लगाना शुरू किया शाखा में योग सूर्य नमस्कार लाठी ट्रेनिंग के साथ-साथ इंटेलेक्चुअल डिस्कशन को भी शामिल किया गया धीरे-धीरे लोग डॉक्टर हेडगेवार की बातों से प्रभावित होने लगे और उनके इस अभियान में जुड़ने लगे कुछ ही समय में शाखा में आने वालों की संख्या कई गुना बढ़ गई अब समय ए गया संघ को ऑफिशल रूप देने का सोचा
डॉक्टर हेडगेवार ने साल 1925 में नागपुर में विजयदशमी के दिन आरएसएस की बुनियाद रख दी धीरे-धीरे महाराष्ट्र के कई इलाकों जैसे नाशिक पुणे अमरावती यवतमाल में संघ ने अपने पैर जमाने शुरू कर दिए और महाराष्ट्र के साथ-साथ मध्य भारत में भी शाखा का विस्तार होना शुरू हो गया लोगों का शाखा के साथ जुड़ना किसी बदलाव से कम नहीं था यह कैसा बदलाव था जिसको बनाया तो सामाजिक कम करने के लिए था लेकिन आगे चलकर यह राजनीति का वो गोल चक्कर बना जिसके चारों तरफ ही राजनीति का ताना बना जाना था
संघ में लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही थी लेकिन महाराष्ट्र के बाहर अभी भी संघ का कोई खास असर नहीं था संघ विस्तार के लिए तैयार था और महाराष्ट्र के बाहर पैर पसारने का मौका तब मिला जब डॉक्टर हेडगेवार को 1930 के आसपास बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी जाने का मौका मिला डॉक्टर हेडगेवार भूवनेश्वर आय और पंडित मदन मोहन मालवीय से बात की पंडित मदन मोहन मालवीय ने परिसर में संघ का ऑफिस खोलने के लिए परमिशन दे दी भूवनेश्वर में डॉक्टर हेडगेवार की मुलाकात एमएससी की पढ़ाई कर रहे माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर से हुई गोलवलकर भूवनेश्वर में पढ़ते भी थे इसलिए उन्हें सब गुरु जी कहा करते थे
गोलवलकर हेडगेवार के माध्यम से ही संघ में एक्टिव हुए और उसकी मेंबर बने लेकिन 1940 में डॉक्टर हेडगेवार की मृत्यु हो जाती है और सर्व सहमति से आरएसएस की कमान गोलवलकर को सौंप दी जाती है गोलवलकर की लीडरशिप में आरएसएस के विचार दिल्ली कोलकाता चेन्नई और लाहौर के साथ साथ पूरे देश में फैला शुरू होते हैं लिए जानते हैं की आरएसएस कैसे कम करता है और इसकी शाखाएं कहां-कहां फैली हुई हैं ऑर्गेनाइजेशन आरएसएस की कंस्ट्रक्टिव अरेंजमेंट की बात करें तो आरएसएस 11 पार्ट में बता हुआ है
केंद्र रीजन यानी क्षेत्र प्रोविंस यानी प्रांत डिपार्टमेंट यानी विभाग डिस्ट्रिक्ट यानी जिला तालुका टाउन यानी नगर ब्लॉक यानी खंड सर्कल यानी मंडल ग्राम ब्रांच यानी शाखा वहीं अगर आरएसएस की ब्रांच यानी शाखा की बात करें तो यह पंच तरह की हैं पहला प्रभात ब्रांच इसमें मॉर्निंग में सभी की मीटिंग होती है दूसरा है इवनिंग ब्रांच तीसरा ब्रांच है नाइट ब्रांच फिर आता है मिलन मिलन यानी वीक में एक या दो बार होने वाली मीठी और आखिर में आता है संगम लिए संग मंडली मंथ में होने वाली मीटिंग को कहा जाता है
दोस्तों आपको यह जानकर हैरानी होगी की संघ में करीब 1 करोड़ से ज्यादा ट्रेंड मेंबर्स हैं संघ परिवार के अंदर 80 से ज्यादा छोटे बड़े संगठन आते हैं अकेले उत्तर प्रदेश में आरएसएस के 8000 से ज्यादा ब्रांच हैं केरल जैसे स्टेट में जहां हिंदू पापुलेशन कम है वहां भी आरएसएस के करीब 5000 ब्रांच हैं यह तो बात हुई देश के अंदर की वही दुनिया के 40 से ज्यादा कंट्रीज में आरएसएस की 57000 ब्रांचेस है इसके साथ ही इन सभी ब्रांच इसमें डेली 50 लाख से ज्यादा मेंबर्स आते हैं देश की हर तहसील और 60000 गांव में हर रोज संघ की ब्रांचेस लगती हैं
आप सोच रहे होंगे यह ब्रांचेस क्या है तो बता दें की ब्रांच या शाखा सुबह शाम होने वाली मीटिंग को कहा जाता है जो किसी भी खुले ग्राउंड में एक घंटे की लगती है इन्हीं ब्रांचेस को आरएसएस की बुनियाद माना जाता है और इसी वजह से इतना बड़ा आरएसएस संगठन चल रहा है यहां रोज सुबह शाम शाखा का आयोजन होता है जहां सारे वॉलिंटियर्स एक दूसरे से मिलते हैं इस दौरान सभी प्रेयर करते हैं योग और गेम्स खेलते हैं साथ ही ये लोग प्रेयर और कल्चरल एस्पेक्ट्स पर चर्चा भी करते हैं
इसके साथ ही यहां सर संग चालक को चुना जाता है और हर सरसंग अपने नेक्स्ट सरसंग चालक को अनाउंस करता है प्रेजेंटली आरएसएस की सरसंग श्री मोहन भागवत हैं बता दें की जो संघ में मैन से आता है उन्हें स्वयं सेवक कहा जाता है इसके अलावा अगर हम इसके विस्तार की बात करें तो आज पूरे वर्ल्ड में आरएसएस की करीब 55 सब्सिडियरी ऑर्गेनाइजेशंस हैं जैसे भारतीय जनता पार्टी, बजरंग दल, हिंदू जागरण मंच, इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन, हिंदू स्वयंसेवक संघ, राष्ट्र सेविका समिति, ऑल इंडिया वर्ल्ड डांसर, विद्या भारती, सरस्वती शिशु मंदिर, वनवासी कल्याण आश्रम, मुस्लिम नेशनल फोरम, नेशनल सिक्स संगत, वर्ल्ड डायलॉग सेंटर, स्वदेशी जागरण मंच, लघु उद्योग भारती, विवेकानंद केंद्र, इंडियन लेबर यूनियन, सेवा भारती, विश्व हिंदू परिषद,
दोस्तों आरएसएस समाजसेवा और सुधार के साथ-साथ राहत और रिहैबिलिटेशन के कम करता है यह कम डिजास्टर साइट और जरूरतमंद इलाकों में संघ के वॉलिंटियर्स देते हैं इसके अलावा देश में कास्टीज्म को खत्म करना और कल्चरल नेशनलिज्म को बढ़ाना भी संघ का मकसद है इसके लिए संघ मैगज़ीन निकलता है जिन्हें लाखों लोग पढ़ते हैं इनमें मैगज़ीन ऑर्गेनाइज्ड और पांचजन्य है इसके अलावा संघ टीनएजर्स और चिल्ड्रन के लिए देवपुत्र नाम की मैगज़ीन भी निकलता है
अगर बात करें आरएसएस के अभी तक के योगदान की तो भारत में कश्मीर विलय के वक्त जब नेहरू सरकार कुछ अस-मंजस की स्थिति में थी तो उसे वक्त सरदार पटेल द्वारा हेल्प मांगने पर आरएसएस प्रमुख गुरु गोलवलकर ने ही महाराजा हरि सिंह से बात की थी जिसके बाद महाराजा हरि सिंह ने विलय के लिए दिल्ली लेटर भेजा था
इसके अलावा दादरा और नगर हवेली और गोवा के भारत जिले के दौरान भी सांगणे बहुत इंपॉर्टेंट रोल प्ले किया था 22 जुलाई 1954 को दादरा को पोर्तुगीज से मुक्त कराया गया था 28 जुलाई को आरएसएस लीडर वाकणकर की लीडरशिप में स्वयं सेवक ने नारोली पुलिस स्टेशन पर हमला बोल दिया और स्टाफर्स को ओवरपावर करते हुए उन्हें सरेंडर करने के लिए मजबूर कर दिया
लिबरेशन फोर्सेस को इस तरह आगे बढ़ता दे पोर्तुगीज इस फोर्सेस कैप्टन फिदाल्गो की नेतृत्व में राजधानी सिलवासा की तरफ रिट्रीट कर चुकी होती है लिबरेशन फोर्सेस फिदाल्गो से सरेंडर करने के लिए कहते हैं और इनके माना करने पर बड़ी संख्या में आरएसएस स्वयं सेवक और लिबरेशन फोर्सेस के बाकी मेंबर्स सिलवासा की तरफ मार्च करते हैं और स्वयं सेवक 2 अगस्त 1954 की सुबह pahunchungi इसका फ्लैग उतार कर भारत का तिरंगा यहां फहराते हैं
इस तरह पूरा दादरा नगर हवेली pahunchungi इसके कब्जे से मूक टकराकर भारत सरकार को सौंप दिया जाता है 1962 में चीन वॉर हुआ उसे वक्त भी संध आगे आकर आर्मी की हेल्प की रूट्स पर नजर रखना एडमिनिस्ट्रेशन की हेल्प आर्मी का खाने का इंतजाम करना और साथ ही साथ आर्मी फैमिली की हेल्प करने जैसे काम आरएसएस द्वारा किए गए
उनके इस काम को पूरे देश के लोगों ने अप्रिशिएट किया आरएसएस के इस कम को देखते हुए पीएम नेहरू ने 1963 के रिपब्लिक डे पर एक फंक्शन में स्पेशली आरएसएस को इनवाइट किया दो दिन के नोटिस पर 3000 स्वयं सेवक ने अपनी यूनिफॉर्म में राजपथ पर मार्च पस्त किया इतना ही नहीं
1965 में इंडो - पाक वॉर के दौरान भी तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने संघ को याद किया था उसे वक्त घायल जवानों को सबसे ज्यादा ब्लड संघ के ही स्वयं सेवकों ने दिया था साथ ही कश्मीर में हटाने का कम भी संघ की स्वयं सेवकों ने किया था अलावा 1971 में ओडिशा में आए भयानक साइक्लोन से लेकर भोपाल गैस ट्रेजेडी तक 1984 में सिख दंगों से लेकर गुजरात अर्थक्वेक सुनामी, उत्तराखंड फ्लड्स और कारगिल वॉर में घायल लोगों के रेस्क्यू ऑपरेशंस तक संध आगे आकर अपनी सेवाएं दी
हमेशा संध आगे फोर फ्रंट में खड़े हो लोगों की सेवा की है और सिर्फ इंडिया ही नहीं एवं नेपाल श्रीलंका और सुमात्रा में भी संघ ने अपनी सेवाएं दी हैं आरएसएस द्वारा इतना सब करने की बावजूद वो हमेशा कंट्रोवर्सी में फास्ट रहती है उसे पर हमेशा से राजनीति में हस्तक्षेप करने के इल्जाम लगते रहे हैं और इसे सरकार द्वारा बन करने की मांग उठाती रही है लिए जानते हैं इसे कब कब बेन किया गया है
वैसे आरएसएस बंद दोस्तों समय-समय पर आरएसएस आलोचना और विवादों में गिरता रहा है पहली बार जब 1948 में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी तो पंडित नेहरू ने इसके लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया और इसे बन कर दिया गया दूसरी बार 1975 में इंदिरा गांधी ने जब देश में नेशनल इमरजेंसी लगाई थी उसे वक्त भी आरएसएस पर बन लगा दिया गया था तीसरी बार 1992 में जब बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया उसे वक्त आरएसएस को बन किया गया
हम सकते हैं की एक सामाजिक संगठन होने के बावजूद आरएसएस का हमेशा से इंडियन पॉलिटिक्स से गहरा नाता रहा और इंडियन पॉलिटिक्स के इस कनेक्शन को समझने की कोशिश करते हैं आरएसएस एंड पॉलिटिक्स आजादी से पहले और आजादी के बाद भी आरएसएस पॉलिटिक्स से ना चाहते हुए भी जुड़ा रहा है 1975 में इमरजेंसी के वक्त आरएसएस का नाम बड़ी लेवल पर पॉलिटिक्स में दिखा
इसके अलावा यह भी बहुत कम लोग जानते हैं की राजीव गांधी को भी एक वक्त पर आरएसएस के आगे झुकना पड़ा था दरअसल की बात 1989 की है जब राम जन्म भूमि को लेकर छेद विवाद में राजीव गांधी को अपनी सत्ता जाती दिखाई देने लगी थी उसे वक्त राजीव गांधी ने आरएसएस से अयोध्या को लेकर बात करने की कोशिश की थी लेकिन आरएसएस ने राजीव गांधी से किसी तरह की बात करने से माना कर दिया था संग उसे समय अयोध्या को राजनीति में नहीं घसीट ना चाहती थी जिसके बाद राजीव गांधी सत्ता से भी दखल हो गए
इधर लाल कृष्ण आडवाणी ने वीपी सिंह की सरकार का साथ दिया लेकिन वीपी सिंह ने जब रिजर्वेशन का दाव खेला तो सारे पासी पलट गए इस वक्त संघ को एक बड़ा झटका लगा झटका में ही सही संघ को यह महसूस हो गया की राजनीति को अयोध्या जाना ही होगा इस दौरान रिजर्वेशन की आग भली तो राजनीति में हलचल मच गई संघ भी एक्टिव हुआ और विश्व हिंदू परिषद के साथ मिलकर अयोध्या राम जन्म भूमि आंदोलन में साथ देने का फैसला कर लिया
दोस्तों राजनीति की वजह से आरएसएस हमेशा आलोचना से घिरा रहा है ऐसा इसलिए क्योंकि आरएसएस वीर सावरकर की आईडियोलॉजी फॉलो करता है जिसकी वजह से आलोचकों ने हमेशा से संघ को राइट विंग फैशन रेडिकल हिंदू ऑर्गेनाइजेशन कहा है
जबकि आरएसएस पॉलिटिकल अपिजमेंट के खिलाफ हिंदुओं के हितों को उठाता है देखा जाए तो आरएसएस की कोई सेट मेजर फिलासफी नहीं है लेकिन आरएसएस चार तरह की में फिलोसॉफिज को फॉलो करता है
पहला अखंड भारत आरएसएस का मानना है की आदिकाल से बांग्लादेश पाकिस्तान श्रीलंका म्यांमार अफ़ग़ानिस्तान और ईरान तक भारत फैला हुआ था यह सब अखंड भारत का हिस्सा है
दूसरा है इंटीग्रल ह्यूमैनिज्म यह फिलासफी दीनदयाल उपाध्याय जी ने दी थी इस फिलासफी के अंतर्गत इंसानियत को सबसे आगे रखने की बात कही गई है साथ ही ग्रामीण विकास सोशल डेवलपमेंट और रियलिस्टिक मॉडल को अपने पर जोर दिया गया
थर्ड है हिंदुत्व यानी हिंदू धर्म को सर्वोच्च मानना आरएसएस का मानना है की भारत में निवास करने वाले सभी लोग कहीं ना कहीं हिंदू धर्म के ही फॉलोअर्स हैं संघ तिरंगे की जगह भगवा ध्वज को अपने कार्यक्रम में उसे करता है इसी वजह से उसकी ऑफिस पर तिरंगा नहीं फहराया जाता अक्सर इस वजह से आरएसएस में फसता रहता है
आरएसएस सबसे ऊपर भगवा ध्वज को मानता है आरएसएस समय समय पर राजनीति में भी एक्टिविटी दिखाता रहता है बीजेपी में कई बड़े लीडर्स संघ से ही निकले हैं अब चाहे वो लेट श्री अटल बिहारी वाजपेई हूं लालकृष्ण आडवाणी हूं हमारी होम मिनिस्टर अमित शाह हूं या फिर देश के पीएम नरेंद्र मोदी इसीलिए इनके कार्यों में संघ की आईडियोलॉजी की छाप देखना कोई हैरानी की बात नहीं कही जा सकती कंक्लुजन तो दोस्तों एक कमरे से स्टार्ट हुआ यह संग आज पूरे भारत में ही नहीं बल्कि पुरी दुनिया में फैला हुआ है आज आरएसएस 97 इयर्स का हो चुका है दुनिया में शायद ही किसी संगठन की इतनी आलोचना हुई होगी जितनी आरएसएस की हुई है लेकिन इसके बावजूद आरएसएस आज भी अपने विचारों को लेकर डिटरमिन है और अपनी मोटो को लेकर आगे बढ़ रहा है आज आरएसएस की पापुलैरिटी इतनी ज्यादा है की आप भारत के किसी भी कोने में हो आपको इसके होने का एहसास हो ही जाएगा स्टडी इक इस अब तैयारी हुई फेर