क्या आपको यह पता है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इंडियन जवान के टारगेट में लॉक हो चुके थे। और बस एक बटन दबाने की देरी थी और पाकिस्तान एक हेडलेस स्टेट बन जाता। और वो इंडियन जवान ट्रिगर बस पुल करने ही वाले थे कि उन्हें मिशन को अबोर्ट करना पड़ गया। लेकिन आखिर क्यों? किसका प्रेशर था उन्हें?
अगर हम यह कर देते, तो वह वॉर हम एक झटके में जीत जाते थे। फिर भी इस मिशन को अबोर्ट क्यों किया गया?
कारगिल जंग के ऊपर वैसे तो कई सारी मूवीस भी बनी है। लेकिन आज तक हमसे इसकी बहुत सारी एक्चुअल घटनाओं को ना छुपाया गया। हम सब ने सुना है कि कारगिल वॉर होने के पीछे रॉ का एक बहुत ही बड़ा इंटेल फेलियर था। लेकिन बहुत ही कम लोगों को यह पता होगा कि इस वॉर को जीतने में भी रॉ का ही बहुत बड़ा हाथ था। क्या आप जानते हो टिबेटियन रेफ्यूजीस का एक सीक्रेट स्पेशल फ्रंटियर फोर्स था जिसे डायरेक्टली रॉ ने ट्रेन किया था और वो रेफ्यूजीस जो उस टेरेन के कॉम्बैट में स्पेशलाइज्ड थे उन्होंने भी हमारे लिए वॉर लड़ा था। लेकिन अब तक इस स्पेशल फोर्स के बारे में पीएम को छोड़कर किसी को भी नहीं पता था।
इनफैक्ट यह फोर्स आज तक एक्टिव भी है। लेकिन फिर भी इनके बारे में कोई बात क्यों नहीं करता? आखिर क्यों? एक और एक घटना कारगिल वॉर के बीच में ही एक ऐसा दौर आया था जब पाकिस्तानी आर्मी लिटरली वॉर ऑलमोस्ट जीत ही चुकी थी। उनका पलड़ा काफी भारी हो चुका था। लेकिन फिर आर्म्ड फोर्सेस ने मिलकर आखिर ऐसा क्या किया कि बाजी तुरंत पलट गई और वॉर अंत में हमने जीत लिया। एंड यस मैं आर्म्ड फोर्सेस इसलिए बोल रहा हूं बिकॉज़ डेफिनेटली हमारी आर्मी को वॉर जिताने का एक बड़ा क्रेडिट तो मिलता ही है। लेकिन आज भी हमें इंडियन नेवी के ऑपरेशन तलवार और इंडियन एयरफोर्स के ऑपरेशन सफेद सागर के बड़े कंट्रीब्यूशन के बारे में पता ही नहीं है। जिस वजह से ही यह वॉर हम जीत भी पाए इन द फर्स्ट प्लेस। और इन्हीं अनकही और अनसुनी कहानियां, हमारे जवानों की बहादुरी की गाथाओं को हम आज के इस कारगिल अनटोल्ड स्टोरीज स्पेशल ट्रिब्यूट वीडियो में जानेंगे। जिसमें से कुछ कहानियां तो ऐसी है जिसने लिटरली मेरे रोंगटे तक खड़े कर दिए।
तो सबसे पहले ना फ्रेंड्स एकदम बेसिक लेवल पर जान लेते हैं कि कारगिल वॉर आखिर क्या था। थर्ड मई 1999 को पाकिस्तानी नॉर्दन लाइट इनफेंट्री रेजीमेंट की टुकड़ी ने एलओसी क्रॉस करके जम्मू कश्मीर के टाइगर हिल, ड्रैस, कक्सर और इन कारगिल सेक्टर्स पर कब्जा हासिल कर लिया था। क्योंकि उस समय इंडियन आर्मी हैवी स्नोफॉल होने की वजह से हिल पोस्ट को ऐसे ही अनगार्डेड छोड़कर चली गई और इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तानी आर्मी ने बिना किसी रेजिस्टेंस के कारगिल के इन पॉइंट्स को कैप्चर कर लिया। अब एग्जैक्टली इन्हीं एरियाज को कैप्चर करने के दो मेन ऑब्जेक्टिव्स खुद परवेज मुशरफ ने ही बताए थे। पहला यह कि वो सियाचीन को इंडिया से कट ऑफ करना चाहते थे। मुशर्रफ साहब ने जो मकसद ऐलान किया था वो यह था कि कारगिल करने की वजह से सियाचिन की सप्लाई लाइन कट जाएगी। हिंदुस्तान की फौज को सियाचिन से निकलने पर हम मजबूर कर देंगे। और दूसरा यह प्लान था कि एक बार कारगिल उनके पास आ गया तो वो इंडिया को कश्मीर इशू पर नेगोशिएशंस करने के लिए मजबूर कर देंगे। उसके ऊपर इतना दबाव पड़ेगा इंटरनेशनल किस्म का कि ये इस किस्म की जंग दो एटमी रियासतों में फैल सकती है और उस दबाव की वजह से वो कश्मीर पर मानीज मुजाकरात करने के लिए आमाद है।
अब यहां पर एक मजे की बात जानते हो फ्रेंड्स इंडिया में कारगिल वॉर को रॉ का एक इंटेल फेलियर बताया जाता है। पर अकेले रॉ को ही नहीं इस पाकिस्तानी इन्वेशन की जानकारी खुद पाकिस्तान के पीएम को भी नहीं थी। फरवरी 1999 को इंडियन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इंडोपाकि रिलेशंस और पीस एस्टैब्लिश करने के लिए बस डिप्लोमेसी की थी।
बेसिकली वो पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ से मिलने के लिए बस से लाहौर गए थे। क्योंकि उस समय पाकिस्तानी गवर्नमेंट भारत से पीसफुल रिलेशंस रखना चाहती थी। मगर पाकिस्तान तो ठहरा पाकिस्तान। उनकी आर्मी पीछे से इंडिया पर ही अटैक करने की साजिश रच रही थी। अब शुरुआत में सिर्फ पाकिस्तानी आर्मी के जनरल परवेज मुशरफ और तीन से चार जनरल्स को छोड़कर किसी को भी इस पाकिस्तानी इनफिल्ट्रेशन के बारे में पता ही नहीं था। बट जैसे ही पाकिस्तानी आर्मी ने कारगिल सेक्टर में मौजूद इंडियन पोस्ट को कैप्चर कर लिया तब जाकर उन्होंने अपने पीएम को इन्फॉर्म किया एंड ऑब्वियसली ही वास ओके विथ इट।
अब इनिशियल स्टेज पर अगर देखें ना तो पाकिस्तान को तीन जगहों पर सक्सेस मिली। एक कि उन्होंने इंडिया के स्ट्रेटेजिक लोकेशन पर कंट्रोल ले लिया था। दूसरा उन्होंने इंडियन आर्मी के सप्लाई को ही कट कर दिया क्योंकि श्रीनगर लेह हाईवे सीधे उनके निशाने पर आ गया था जो इंडियन ट्रूप्स और सप्लाई को लद्दाख और सियाचीन पहुंचाने के लिए काफी इंपॉर्टेंट थे। तीसरी सक्सेस उन्हें मिली 15th मई 1999 को जब द्रास सेक्टर में इंडियन आर्मी के कैप्टन कालिया और पांच सोल्जर्स पेट्रोलिंग करने गए थे।
तो पाकिस्तानी आर्मी ने उन पर हैवी एंबुश यानी कि सरप्राइज अटैक किया और उन्हें पकड़ लिया, कैप्चर कर लिया। उन्हें फिर 22 डेज तक बहुत ही बुरी तरीके से टॉर्चर किया गया जिसके बाद अनफॉर्चूनेटली उनकी डेथ हो गई और यह पूरा का पूरा ऑपरेशन जो टॉर्चर का कंडक्ट किया गया था, बहुत ही ग्रिजली तरीके से किया गया था। लेकिन इसके बावजूद भी पाकिस्तान ने सभी इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स में इसे एक्सेप्ट करने से सीधे-सीधे मना कर दिया। उनका ये स्टांस था कि कारगिल अटैक उन्होंने करवाया ही नहीं है। उल्टा उन्होंने इसे मुजाहदींनंस का इनफिल्ट्रेशन बता दिया। सो टिपिकल स्ट्रेटजी थी पाकिस्तान की जैसे वो पहले अक्सर करता था।
नॉन स्टेट एक्टर्स पर ब्लेम डाल देता था और स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म नहीं बताता था। और इस डिप्लोमेसी के पीछे का रीजन बिल्कुल सिंपल था। क्योंकि इससे इंडिया अगर पाकिस्तानी सोल्जर्स पर अटैक करता तो हम एज एन अग्रेसर दुनिया के सामने प्रेजेंट हो जाते थे। और पाकिस्तान विक्टिम कार्ड प्ले कर सकता था और वेस्ट की एड और सिंपैथी उसे और ज्यादा मिलती थी। अब इंडियन सोल्जर्स को भी इस अटैक के बारे में फिफ्थ मई 1999 को यानी कि अटैक के दो दिन बाद पता चला कि पाकिस्तानी सोल्जर्स ने इनफिल्ट्रेशन कर दिया। पर इंडिया के पास यह बात इंटरनेशनलली प्रूफ करने के लिए कोई सबूत नहीं था। और एग्जैक्टली यहीं पर एंट्री हुई रॉ की। हमें आज तक यह पता था कि रॉ का इंटेल फेलियर था कारगिल वॉर। बट यह नहीं पता था कि इस जंग में रॉ के अचीवमेंट्स क्या है। सो रॉ का इस जंग में सबसे बड़ा अचीवमेंट था मुशरफ का कॉल। मे 1999 रॉ के कम्युनिकेशन स्टेशन ने एक बैजिंग बेस्ड कॉल को इंटरसेप्ट किया। यह कॉल और किसी का नहीं बल्कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ मुशरफ का था। इसमें वो ओपनली एक्सेप्ट कर रहे थे कि उन्होंने आईएफ के प्लेेंस को गिरा दिया है और इस अटैक को मुजाहिद्दीन के अटैक्स की तरह रिप्रेजेंट किया है।
क्या यह MI7 हमारे इलाके में गिरा है? अजीज नहीं सर यह उनके इलाके में गिरा है। हमने उसे गिराने का दावा नहीं किया है। हमने मुजाहदीन से उसे गिराने का दावा करवाया है। लेकिन यह मंजर काबिले दी था। हमारी अपनी आंखों के सामने उनका हेलीकॉप्टर गिरा। मुशर्रफ बहुत अच्छे फर्स्ट क्लास। इस ऑडियो को फिर इंडिया ने पाकिस्तान को सुनाया और वर्ल्ड वाइड और पाकिस्तान ये जो सारी बातें बोल रहा है वो बस सिर्फ एक फसाद है बट असल में वो खुद भी वॉर में इनवॉल्वड है। बट ये इकलौता रॉ का बड़ा अचीवमेंट नहीं था। एक मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में फॉर्मर रॉ चीफ एएस दुलट जी ने ओपनली रिवील किया कि कारगिल कॉन्फ्लिक्ट के पहले ही यानी कि अर्ली 1999 में रॉ ने गवर्नमेंट को एक इंटेलिजेंस रिपोर्ट सबमिट किया था। जिसमें क्लियरली यह लिखा था कि कारगिल पर ऐसा एक इन्वेशन होने वाला है और हमें सतर्क हो जाना चाहिए। अब सेंटर ने इस पर एक्ट क्यों नहीं किया? मीडिया में यह बात पब्लिसाइज क्यों नहीं हुई यह हमें नहीं पता। बट रॉ की तरफ से यह एक सीरियस इंटेल था और शायद इससे वॉर रुक भी जाता था। बट मे बी हमारे लैक्स ब्यूरोक्रेसी के वजह से हमें यह वॉर झेलना पड़ गया। एंड यू नो व्हाट्स वर्स यह इल्जाम उल्टा रॉ पर ही बैकफायर हो गया कि यार आप ही लोग ने इंटेलिजेंस नहीं दिया। जबकि रॉ ने तो ऑलरेडी सबमिट कर लिया था। उस पर एक्शन नहीं लिए गए थे। अब तीसरी अचीवमेंट सिर्फ रॉ की नहीं बल्कि हमारे देश की भी एक काफी इंटरेस्टिंग कहानी है। क्या आप जानते हो टिबेटन रिफ्यूजीस ने इंडिया को पहली कारगिल की जीत दिलाई थी? यस। टिबिटियंस ने लिटरली इंडिया के लिए लड़ा था। सो 1999 में रॉ ने 80 टिबिटंस की एक स्पेशल फ्रंटियर फोर्स बनाई थी। जिनकी मदद से उन्होंने कारगिल में पहला सक्सेसफुल काउंटर स्ट्राइक कंडक्ट किया था। लेकिन इसमें उनके कुछ ऑफिसर्स शहीद हो गए थे। अब इंडिया के लिए जान देने के बावजूद भी मार्टर्स लिस्ट में उनका नाम तक नहीं लिखा गया था। इवन उनकी वीरता को रिकग्नाइज करने के लिए एक सेरेमनी तक नहीं रखी गई। सो इस सबसे फ्रस्ट्रेट होकर एट लास्ट एक टॉप रॉ ऑफिसर जिनका कोड नेम रहमान था। उन्होंने इंडिया के तबके एनएसए बृजेश मिश्रा जी से रॉ के काम को और तिबेटंस के काम को एकनॉलेज करने की रिक्वेस्ट की।
बट रिपोर्ट्स के हिसाब से एनएसए ने मुंह पर ही मना कर दिया। बट फिर यह बात पीएम अटल जी को पता चली और उन्होंने तब जाकर उन ऑफिसर्स को सीक्रेटली गैलेंट्री अवार्ड से ऑनर किया। अब यह स्पेशल फ्रंटियर फोर्स कौन है जानते हो? वेल ये फोर्स इंडिया की मोस्ट मिस्टीरियस आर्म्ड यूनिट है जिसके बारे में पीएम को छोड़कर देश में किसी को नहीं पता। इनफैक्ट यह आज तक आर्मी के कमांड में नहीं है। रॉ के अंडर ऑपरेट होती है। इस यूनिट को 14th नवंबर 1962 में रॉ और सीआईए ने मिलकर एस्टैब्लिशमेंट 22 नाम के एक प्रोजेक्ट के तहत बनाया था। जिसमें खंपा कम्युनिटी के 5000 तिबेटन रेफ्यूजीस को देहरादून में ट्रेन करके इस फोर्स को शुरू किया गया था। इनका मेन काम वैसे तो था चाइना के खिलाफ इंटेलिजेंस गैदर करना और माउंटेन एंबिशियस करना। क्योंकि टिबिटियंस नेचुरली ही माउंटेनियस टेरेन में सर्वाइव करने में एक्सपर्ट्स होते हैं। पर 1971 में इंडिया और यूएस के रिलेशंस खराब हो गए। जिसके बाद से फिर यूएस ने इस प्रोजेक्ट से बैकआउट कर दिया और तब से रॉ ही इस यूनिट को सोलली ऑपरेट करता है।
और सिर्फ कारगिल में ही नहीं इस यूनिट ने 1971 बांग्लादेश लिबरेशन वॉर, ऑपरेशन ब्लू स्टार और सियाचीन ग्लेशियर कैप्चर करने में भी बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले किया था। लेकिन आज तक इनकी वीरता के बारे में किसी को पता ही नहीं। अब हमारे आर्म्ड फोर्सेस के अलावा लदाकीस ने भी कारगिल वॉर को जीतने में एक बड़ा रोल प्ले किया था। इनफैक्ट पाकिस्तानीज इंडिया में घुसे हैं। यह बात भी सबसे पहले एक लोकल विलेजर ने ही आर्मी को बताया था। पाकिस्तानी हमले के बारे में सबसे पहले इंडिया को अलर्ट करने वाले लदाकीस ही थे। तो मेरा यहां गुम हुआ था। शक को ढूंढने के लिए गया था मैं घर को नाले की तरफ अपने गांव का नाले में। तो खैबर सामने देखा तो मेरे पास बिनकुल होता है। तो कोई छह बंदे नजर आया मेरे को ऊपर टॉप में बंजू टॉप में बर्फ था। बर्फ के बीच में कोई रास्ता जैसा नजर आया तो मैं बंग में देखते हुए तो वहां छह बंदे नजर आए। फिर तो लगभग मैं वहां 10 मिनट तक रुका। फिर मैं वापस आया यहां तो वहां थी पंजाब का तो एक जवान बैठता था। वहां एक गार्ड कमांडर था बलविंदर सिंह। उसको मैंने रिपोर्ट दे दिया। साहब जी मैं इस तरह हम यहां गुम हुआ था ढूंढने के लिए गया तो वहां कोई बंदे है। और सिर्फ यही नहीं उस वक्त वॉर में लद्दाख के हर एक गांव ने इंडियन आर्मी की मदद भी की थी। लद्दाखी बुद्धिस्ट एसोसिएशन ने और लद्दाख के हर स्कूल प्रिंसिपल ने अपने गांव में अनाउंस कर दिया था कि गांव का हर एक आदमी और यूथ आर्मी को सपोर्ट करने में वॉलंटियर करेगा।
इन्होंने आर्मी को तीन तरीकों से सपोर्ट किया था। पहला दुश्मन के हर मूवमेंट की इंटेलिजेंस आर्मी को यह देते थे। दूसरा लॉजिस्टिक्स यानी कि सामान पहुंचाने में आर्मी की ये मदद करते थे। और तीसरा जरूरत पड़ने पर यह आर्मी को खाना भी देते थे। अब ये सबके अलावा हमारे इंडियन आर्मी के ऑपरेशन विजय की कहानियां तो बहुत ही मशहूर है। इस पर तो शेरशाह जैसी मूवीस भी बन चुकी है। इंडियन आर्मी का हमारी जीत में सबसे बड़ा रोल रहा है क्योंकि उन्हें लिटरली एक बहुत ही ऊंचे पहाड़ 0.4875 में चढ़ना था वो भी ऑपोजिट साइड से यानी कि नीचे से ऊपर और ऊपर दुश्मन बैठे थे। जो कि तेज गोलीबारी मिसाइल्स छोड़ रहे थे। पत्थरबाजी कर रहे थे। और इसके बाद भी हमारी आर्मी अगेंस्ट ऑल टाइट्स ऊपर चढ़कर उन्हें कॉम्बैट कर रही थी। लेकिन हमने कभी भी कारगिल के दौरान इंडियन नेवी और एयरफोर्स का क्या रोल था, इसके बारे में कहानियां नहीं सुनी है। इनके कंट्रीब्यूशन के बारे में नहीं जाना है।
सो कारगिल वॉर के दौरान इंडियन नेवी ने पाकिस्तान को बड़े ही स्ट्रैटेजिकली पाकिस्तान के कराची पोर्ट को ब्लॉक कर दिया था। जिस एक ब्लॉकेज से इंडियन आर्मी पर लॉन्च होने वाले मिसाइल्स एकदम से रुक गए। दरअसल उस वक्त इंडियन नेवी ने एक नॉर्थ कोरियन कारगो शिप जो पाकिस्तान के लिए मिसाइल्स और स्पेयर पार्ट्स ले जा रही थी उसे इंटरसेप्ट कर लिया था यानी कि पकड़ लिया था। ये वेपन्स चाइना नॉर्थ कोरियन रूट के जरिए पाकिस्तान को पहुंचाना चाहता था। क्योंकि पाकिस्तान ने अपने दोस्त चाइना से हथियारों की मदद मांगी थी। पर ये सारे हथियार पाकिस्तान तक इसीलिए नहीं पहुंच पाए क्योंकि मई 1999 में इंडियन नेवी ने अपनी इयरली वॉर एक्सरसाइज समर एक्स को बे ऑफ बंगाल से शिफ्ट करके बड़ी स्ट्रेटेजिकली अरेबियन सी में कर दिया था। बेसिकली इंडियन नेवी ने इसी एक्सरसाइज की आड़ में कराची पोर्ट को ब्लॉक कर दिया था।
यह क्लासिक एग्जांपल था गन बोट डिप्लोमेसी का। जहां पर 30 से ज्यादा इंडियन नेवी शिप्स कराची हारबर के सिर्फ 13 नॉटिकल माइल्स दूर ऑपरेट कर रहे थे। जो पाकिस्तान के टेरिटोरियल वॉटर्स से लेस देन 2 कि.मी. दूर था। इसका मतलब बेसिकली यह था कि ना ही पाकिस्तान में कोई शिप आ सकती थी और ना ही पाकिस्तान से बाहर कोई शिप जा सकती थी। पीएम नवाज शरीफ ने तो बाद में ओपनली खुद ही एक्सेप्ट कर लिया था कि इंडियन नेवी के इस ब्लॉकेड के बाद पाकिस्तान के पास सिर्फ छह दिन का ही फ्यूल सप्लाई बचा था। क्योंकि पूरी सप्लाई चेन ही कट कर दी थी।
अब एक और एक काफी अननोन मगर बहुत ही इंटरेस्टिंग बात यह है कि कारगिल क्राइसिस के दौरान इंडियन एयरफोर्स ने ऑलमोस्ट पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ और आर्मी जनरल परवेज मुशरफ को जान से मार डाला ही था। दरअसल किस्सा कुछ ऐसा है कि एक इंडियन एयरफोर्स फाइटर पायलट ने गलती से लाइन ऑफ कंट्रोल के उस पार पाकिस्तानी मिलिट्री बेस को टारगेट पर लॉक कर लिया था और बस वो बॉम्ब गिराने ही वाले थे। लेकिन उन्हें अपने सीनियर ऑफिसर्स से इसकी परमिशन नहीं मिली। क्योंकि इंडियन गवर्नमेंट लाइन ऑफ कंट्रोल के यानी कि बॉर्डर के उस पार अटैक्स नहीं करना चाहती थी। लेकिन फिर जाके एंड में पता चला कि जो मिलिट्री पोस्ट टारगेट पर था ना उसी में पाकिस्तानी पीएम और आर्मी चीफ दोनों मौजूद थे। वो उस समय वॉर सिचुएशन की उसी पोस्ट से मॉनिटरिंग कर रहे थे। पर इंडिया के एथिकल बिहेवियर की वजह से वो बच गए।
मतलब जरा सोचो अगर उन्होंने उस ट्रिगर को पुल कर दिया होता और उनकी जान चली जाती तो इसके नेशनल और इंटरनेशनल रेपरकशंस क्या ही होते। तो यही सारी अनटोल्ड स्टोरीज बताती है कि कारगिल वॉर एक मिसाल है इंडियन आर्म्ड फोर्सेस की ब्रेवरी और स्ट्रेटजी का जिन्होंने मिलकर पाकिस्तान को हराया और कारगिल को वापस जीत लिया। हजारों सोल्जर्स देश के लिए घायल हुए जिसमें से कुछ तो परमानेंटली डिसेबल्ड भी हो गए और 527 सोल्जर्स ने तो देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। सिर्फ इसीलिए ताकि हम इंडियंस सेफ रह सके और इन जवानों के इन एफर्ट्स के लिए हम हमेशा कर्ज में रहेंगे।
और इसीलिए कारगिल दिवस पर मेरा हमारे सभी शहीद जवानों को शत-शत नमन है। और इन्हीं अनटोल्ड स्टोरीज को बताकर उन अनसंग हीरोज़ को लाइमलाइट में लाना यही हमारे इस ब्लॉग का लक्ष्य है।
अगर इस ब्लॉग से फ्रेंड्स आपको कुछ भी नई बात जानने मिली तो इस इसको जितना जितना हो सके अपने फ्रेंड्स एंड फैमिली मेंबर्स के साथ शेयर करना ताकि उन्हें भी इन अनटोल्ड स्टोरीज के बारे में पता चले और वो भी हमारे जवानों की वीरता को एकनॉलेज करें। मिलते हैं अगले पोस्ट में जय हिंद, जय भारत।



.jpeg)