जिसे देखकर कोई भी एक बार के लिए धोखा खा सकता था आतंकियों का मकसद इंडो पार्क बॉर्डर से करीब 30 किमी दूर लोकेटेड पठानकोट एयर बेस को निशाना बनाने का था यह एयर बेस भारत के लिए स्ट्रेटजिकली बहुत इंपॉर्टेंट है जिसने पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 की जंग में भी अहम भूमिका निभाई थी आतंकी यहां आत्मघाती हमला करके यहां मौजूद भारतीय वायु सेना के फाइटर जेट्स को डिस्ट्रॉय करना चाहते थे
यहां तक पहुंचने के लिए आतंकी एक कार की तलाश में होते हैं लेकिन अब तक सुबह हो चुकी थी और दिन की रोशनी ने उनके लिए खतरा बढ़ा दिया था इसलिए वह दिन भर जंगलों और झाड़ियों में छिपे रहे जब 31 दिसंबर का दिन ढला तो अंधेरा होते ही वह फिर से बाहर आ गए और जानिया रोड पर किसी गाड़ी के गुजरने का इंतजार करने लगे। रात करीब 9:30 बजे आतंकियों की नजर यहीं से गुजर रही एक इनोवा कार पर पड़ी जिसे एकाग्र सिंह नाम के शख्स चला रहे थे
गाड़ी को जब आतंकियों ने रुकने का इशारा किया तो एकाग्र सिंह उनकी इंडियन आर्मी की ड्रेस को देखकर धोखा खा गए और उन्होंने खुशी-खुशी गाड़ी रोक दी जैसे ही गाड़ी रुकी आतंकियों ने उनका मोबाइल छीन लिया और उनका गला काटकर उनकी बॉडी को वही पास के खेत में फेंक दिया आतंकियों को जल्दी थी इसलिए वह गाड़ी को बड़ी तेज रफ्तार से चलाने लगे इसी जल्दबाजी में उनकी गाड़ी कुछ दूर जाने के बाद ही रावी रिवर ब्रिज के धूसी टर्न के पास खराब हो गई, इसके चलते आतंकियों को मजबूरन इनोवा कार वही छोड़नी पड़ी, वो थोड़ी दूर जाकर गन्ने के खेतों में छिप गए और यहां से किसी दूसरी गाड़ी के गुजरने का इंतजार करने लगे
रात के 11:00 बज चुके थे कि तभी आतंकियों की नजर एक दूसरी गाड़ी मंहिद्रा एक्सयूवी 500 पर पड़ी यह गाड़ी पंजाब पुलिस के एसपी सलविंदर सिंह की थी जो अपने दोस्त राजेश वर्मा और कुक मदन गोपाल के साथ एक दरगाह पर मत्था टेककर वापस गुरदासपुर लौट रहे थे गाड़ी राजेश वर्मा चला रहे थे जैसे ही वह कोलियन मोड़ के पास पहुंचे आतंकियों ने उन्हें भी रुकने का इशारा किया यह लोग भी उन आतंकियों की वेशभूषा को देख कर धोखा खा गए और उन्होंने भी उन्हें फौजी समझकर गाड़ी रोक दी, गाड़ी रुकते ही आतंकियों ने उन पर अपनी राइफल तान दी और जबरदस्ती गाड़ी के अंदर घुसकर एसपी सलविंदर सिंह और उनके दोनों साथियों के हाथ पैर बांध दिए और उनके मोबाइल छीन लिए उन्हीं के फोन से एक आतंकी ने पाकिस्तान में बैठे अपने आंका काशिफ जान को फोन मिलाया और अपनी करंट लोकेशन की जानकारी देते हुए कहा, उन्हें कार मिल गई है और व जल्द ही टारगेट तक पहुंच जाएंगे वो एयरफोर्स शब्द का बार-बार जिक्र कर रहे थे
जिससे तीनों बंदी बने लोगों को इतना तो समझ आ गया था कि आतंकियों का मंसूबा इंडियन एयरफोर्स पर हमला करने का है, बात करने के बाद गाड़ी चलने लगी चलती गाड़ी में ही आतंकियों ने उन तीनों को पहले तो लात घुसो और राइफल की बट से खूब पीटा और फिर गुलपुर सिमली गांव के पास जंगल के इलाके में पहुंचते ही एसपी सलविंदर सिंह और कुक मदन गोपाल की आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें चलती गाड़ी से धक्का दे दिया
आतंकियों को अभी तक यह नहीं पता था कि जिनको वह फेंक रहे हैं उनमें से एक पुलिस वाला भी है वह अभी तक यही समझ रहे थे कि गाड़ी राजेश वर्मा चला रहा था इसलिए गाड़ी का मालिक वही होगा इसी वजह से वोह उसे अपने साथ ले गए जैसे ही वह आगे बढ़े सलविंदर सिंह और मदन गोपाल ने मौका देखते ही किसी तरह अपने हाथ खोल लिए और आंखों से पट्टी हटाकर गुलपुर सिमली गांव तक पहुंच गए सलविंदर सिंह को आतंकियों की फोन की बातचीत से यह तो कंफर्म हो गया था कि वह चारों आर्मी वर्दी में पाकिस्तानी आतंकी है जो किसी बड़े हमले को अंजाम देना चाहते हैं इसलिए गांव में घुसते ही उन्होंने किसी के फोन से तुरंत गुरदासपुर पुलिस कंट्रोल रूम को कॉल कर पूरी घटना की जानकारी दे दी, लेकिन किसी ने उनकी बातों पर यकीन ही नहीं किया सलविंदर सिंह की इमेज उनके साथी पुलिस कर्मियों के बीच काफी खराब थी इसलिए उन्होंने समझा कि सलविंदर पार्टी करके लौट रहा होगा और फिजूल की बातें बना रहा है जब उन्हें किसी ने सीरियसली नहीं लिया तो सलविंदर सिंह ने 3:20 पर गुरदासपुर के एसएसपी को कॉल किया और उन्हें सारा माजरा बताया
उधर आतंकी लगातार राजेश वर्मा को पीट रहे थे और उसके फोन से पाकिस्तान में बैठे अपने हैंडलर से कांटेक्ट में बने हुए थे उन्होंने राजेश को पीट-पीट के बुरी तरह घायल कर दिया जब उससे पूछा गया कि ये किसकी गाड़ी है तब राजेश ने बताया कि ये पंजाब के एसपी सलविंदर सिंह की कार है जिसे उन्होंने पीछे ही फेंक दिया ये खबर जब फोन पर आतंकियों के हैंडलर्स ने सुनी तो वो गुस्से से आग बबूला हो गए पुलिस वाला होने की वजह से सलविंदर उन्हें बड़ी थ्रेट लगा जो अथॉरिटीज को बताकर उनके पूरे प्लान को चौपट कर सकता था इसलिए हैंडलर्स ने उन्हें तुरंत वापस जाकर सलविंदर सिंह और मदन गोपाल को दोबारा पकड़ने का आदेश दिया लेकिन जब तक वह वापस उस जगह पहुंचे तब तक सलविंदर सिंह और मदन गोपाल अपनी जान बचाकर वहां से भाग चुके थे
दोनों को ना पकड़ पाने की बौखलाहट में आतंकियों ने सारा गुस्सा राजेश वर्मा पर उतार दिया उन्होंने सुबह करीब 4:00 बजे बेरहमी से उसका चाकू से गला रेत दिया आतंकियों को यकीन था कि कुछ ही देर में राजेश की मौत हो जाएगी इसलिए उन्होंने उसको गाड़ी से बाहर निकालकर पास के खेत में ही फेंक दिया इसके बाद आतंकी तो गाड़ी लेकर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ गए लेकिन बुरी तरह घायल राजेश वर्मा किसी तरह अपनी जान बचाने के लिए पास के ही गांव अकालगढ़ पहुंच गए जहां से उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया जहां उन्होंने पुलिस को सब कुछ बता दिया इस बीच जिस पहले शख्स ए कागर सिंह को आतंकियों ने मार डाला था उनके देर रात तक घर ना लौटने पर उनके परिवार ने पास के पुलिस स्टेशन में उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी
उधर एसपी सलविंदर सिंह भी बार-बार बड़े-बड़े पुलिस अधिकारियों से कांटेक्ट कर उन्हें आतंकी हमले के खतरे को लेकर आगाह कर रहे थे कुछ ही घंटों में एक ही एरिया में लगातार एक ही तरह की घटनाओं की खबर से पुलिस हरकत में आ गई इसके बाद पठानकोट से लेकर दिल्ली तक जम्मू से लेकर उधमपुर तक और चंडीगढ़ से लेकर पंचकुला तक फोन की घंटियां लगातार बजने लगी जल्द ही एक खबर होम मिनिस्ट्री डिफेंस मिनिस्ट्री और प्राइम मिनिस्टर्स ऑफिस तक भी पहुंच गई
मानेसर जहां नेशनल सिक्योरिटी गार्ड एनएसजी के एलीट कमांडोज बेस्ड है वहां भी कॉल्स की भरमार होने लगी जब 1 जनवरी 2016 को पूरी दुनिया नए साल की खुशियां मना रही थी तब आतंकी हमले की संभावनाओं से इंडियन अथॉरिटीज के बीच हड़कंप मचा हुआ था और सभी ऑफिस में केस की स्थिति बन चुकी थी तुरंत देश की सभी सिक्योरिटी फोर्सेस और इंटेलिजेंस एजेंसीज को हाई अलर्ट पर रखा गया सेना और पुलिस की टुकड़ियों ने मिलकर जल्द ही क्विक रिएक्शन टीम्स तैयार की जिनके जांच करने पर उन्हें ए कागर सिंह की गाड़ी और उनकी डेड बॉडी मिल गई अगले कुछ घंटों के सर्च ऑपरेशन में एसपी सलविंदर सिंह की महिंद्र एक्सयूवी गाड़ी भी मिल गई जो लावारिस हालत में पठानकोट एयर बेस से मात्र 500 मीटर की दूरी पर खड़ी थी
सलविंदर द्वारा दी गई डिटेल्स और उनकी गाड़ी के पठानकोट एयरबेस के पास मिलने से अब साफ था कि आतंकियों का मकसद इस एयर बेस को निशाना बनाने का ही है। साथ ही इस दौरान इंटेलिजेंस एजेंसीज लगातार एसपी सलविंदर और राजेश के फोन को इंटरसेप्ट कर रही थी जो आतंकियों के पास थे एक कॉल में इंटेलिजेंस एजेंसीज ने आतंकियों को उनके हैंडलर से बात करते हुए सुना जिसमें हैंडलर्स उनसे कह रहे थे कि जल्दी टारगेट तक पहुंचकर प्लेंस और हेलीकॉप्टर्स को उड़ा दो यानी अथॉरिटीज को अब यह भी पता था कि देश में आतंकी घुसाए हैं और यह भी साफ था कि हमला कहां होगा लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि इतना सब मालूम होने के बाद भी आतंकी ना केवल पठानकोट एयरबेस में घुसने में कामयाब हुए बल्कि वहां कई दिनों तक उन्होंने ऐसा आतंक मचा आया जिसने देश और दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया
मीडिया की सुर्खियों में केवल एक ही हेडलाइन थी एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा को बढ़ाया जाने लगा कुछ ही देर में गरुड़ कमांडोज और डिफेंस सर्विस कॉर्प्स डीएससी की एक-एक टीम स्टेशन के अंदर की सुरक्षा में तैनात कर दी गई नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल ने भी दिल्ली में आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग एयर चीफ मार्शल अरूप राहा एंड इंटेलिजेंस ब्यूरो एंड आरएंड एडब्ल्यू के हेड्स के साथ एक हाई लेवल मीटिंग की मीटिंग के बाद एनएसजी की एक टीम को तुरंत पठानकोट के लिए एयरलिफ्ट करने का आदेश जारी कर दिया गया इधर चारों आतंकी अभी तक पठानकोट एयर बेस में घुस नहीं पाए थे वो पठानकोट एयर बेस की दीवार तक पहुंचने ही वाले थे कि तभी आतंकियों को उनके हैंडलर का कॉल आ जाता है
उनका हैंडलर उन्हें डांट कर कहता है कि वह चारों अभी तक बेस में घुस क्यों नहीं पाए हैं जबकि दो लोगों का एक ग्रुप पहले ही टारगेट तक पहुंच चुका है इसका मतलब था कि पठानकोट को दहलाने के लिए चार नहीं बल्कि छह आतंकी दो ग्रुप्स में आए थे और पहला ग्रुप पहले से ही एलओसी को पार कर सभी की नजरों से बचते हुए पठानकोट एयरबेस में घुसकर छिपा बैठा था जिनकी सिक्योरिटी फोर्सेस को भनक तक नहीं थी चारों आतंकी अपने हैंडलर की डांट के बाद एयरबेस की भारी दीवार तक पहुंच गए एयर स्टेशन के आसपास जंगली इलाका था और सुरक्षा के नाम पर स्टेशन की दीवारों के ऊपर केवल कंटीली तारों की फेंस लगी हुई थी अंदर भारी संख्या में यूकेलिप्टस के पेड़ भी लगे हुए थे जिन पर आतंकी क्लाइंबिंग रोप बांधकर एयर बेस की दीवार पर चढ़ गए और वायर फेंस को काट डाला अगले ही पल किसी की भी नजर में आए बिना एक-एक करके चारों आतंकी एयर बेस के अंदर दाखिल हो गए
एयर बेस के अंदर डिल पिटेड एमईएस स्टोर की बड़ी-बड़ी शेड्स रखी हुई थी और पानी की निकासी के लिए यहां बड़े-बड़े नाले भी बनाए गए थे आतंकियों को अपनी घिनौनी साजिश को अंजाम देने के लिए रात के अंधेरे का इंतजार था इसलिए उन्होंने खुद को दिन भर के लिए इन शेड्स और नालों में छुपा लिया अब पठानकोट एयरबेस के अंदर आतंकियों के दो ग्रुप मौजूद थे दो लोगों का ग्रुप पहले से ही यहां कहीं लंबी-लंबी एलीफेंट ग्रास में छुप के बैठा था जबकि बाद वाला चार लोगों का ग्रुप नालों में छिप गया था
आतंकी अपने साथ 50 किलो एक्सप्लोसिव 30 किलो ग्रेनेड्स और तेजी से आग पकड़ने वाले जेल भी लेकर आए थे जिससे वो यहां के टेक्निकल एरिया तक पहुंचकर वहां स्टेश मिग 21 फाइटर जेट्स mi2 एंड mi3530, 60 कमांडोज की एक टीम भी आ पहुंची सभी कमांडोज ने जल्दी-जल्दी अपनी पोजीशन ले ली, अब उन्हें बस उन आतंकियों का इंतजार था जिन्हें मिट्टी में मिलाकर वह पाकिस्तान को संदेश देना चाहते थे कि जब भी कोई भारत की सीमा में गलत इरादे से दाखिल होता है उसे उसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है
लेकिन आतंकी पूरे दिन बदबूदार नालों में चूहे की तरह दुबके रहे जैसे ही रात हुई वोह एक्टिव हो गए अब उन्हें सही मौके की तलाश थी इसके बाद चार आतंकियों वाला ग्रुप हमले को इनिशिएटिव की जिम्मेदारी लेता है 2 जनवरी की रात के करीब 3:00 बजे चारों आतंकी नालों से बाहर निकल आए और टेक्निकल एरिया की तरफ बढ़ने के लिए गरुड़ कमांडोज पर हमला कर दिया अचानक हुए इस हमले से कमांडोज जब तक संभल पाते तब तक आतंकी गोलीबारी और हथ गोले फेंकते हुए डीएससी के मैच तक पहुंच गए वहां एक्स आर्मी रेसलर जगदीश चंद चाय बना रहे थे उन्होंने जैसे ही आतंकवादियों को देखा व फौरन अलर्ट हो गए उन्होंने एक आतंकी से उसकी राइफल छीन ली और उसे वही ढेर कर दिया
लेकिन इससे पहले कि वह बाकी आतंकियों को रोक पाते आतंकियों ने उन पर गोलियां बरसा दी और वोह वही शहीद हो गए इसके बाद बचे हुए तीनों आतंकियों ने मैस में घुसकर अंधा धुन फायरिंग कर दी जिससे डीएससी के चार और जवान अपनी जान गवा बैठे अपने पांच साथियों की मौत से सभी जवान गुस्से से भर उठे उन्होंने आतंकियों को एलिमिनेट करने और एयरबेस को उनसे फ्री करने के लिए यहां ऑपरेशन ढांगू शुरू कर दिया
पठानकोट एयरबेस लगभग 25 किमी में फैला हुआ है जहां करीब 10000 एयरफोर्स कर्मी अपने परिवार सहित रहते हैं मैस से उनके घरों की दूरी काफी कम थी इसलिए उन पर हॉस्टेस बनाए जाने का खतरा मंडरा रहा था इस दौरान एयर स्टेशन में नाइजीरिया अफगानिस्तान बांग्लादेश और म्यानमार के 23 मिलिट्री ट्रेनीज भी मौजूद थे एयरफोर्स को चिंता थी कि अगर इन ट्रेनीज को कोई नुकसान पहुंचा तो इंडिया को इंटरनेशनल लेवल पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसके अलावा एयरबेस के मैच से महज 500 मीटर की दूरी पर मौजूद टेक्निकल एरिया को भी सेफगार्ड कर मेन प्रायोरिटी था
दर्जनों गरुड़ कमांडोज एंड एनएसजी कमांडोज इस एरिया के चारों तरफ घेराबंदी बनाए हुए थे मैस के बाद आतंकी फर्नीचर वाली बिल्डिंग में छुपकर कमांडोज पर गोलीबारी करने लगे उनके छिपकर हमला करने से भारतीय कमांडोज को काउंटर करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था इसलिए उनकी एग्जैक्ट पोजीशन का पता लगाने के लिए अनमैंड एरियल व्हीकल यानी यूएवी को उड़ाया गया
जब एनएसजी कमांडोज को उनकी पोजिशनिंग का अंदाजा हो गया तो उन्होंने रिटाइट करना शुरू किया आतंक के पास ak47 राइफल्स थी जिनका जवाब भारतीय कमांडोज mp5 असोल्ट राइफल ग्लॉक पिस्टल और कॉर्नर शॉटगन जैसी मॉडर्न राइफल से दे रहे थे, दोनों ओर से भयंकर गोलीबारी शुरू हो गई गोलियों की तड़पड़ा हट और भारी बमबारी से पूरा इलाका सेहम उठा इस तरह सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हो गई आतंकी कभी फायरिंग करते तो कभी ग्रेनेड और एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल करते लेकिन इसके बावजूद आतंकी आमने-सामने की लड़ाई में कमांडोज के आगे कहीं भी नहीं टिक पा रहे थे
कमांडोज ने आतंकियों की हर चाल को नाकाम करके रख दिया था इसका अंजाम यह हुआ कि 2 जनवरी की शाम तक तीन और आतंकियों को मार गिराया गया पूरे चार आतंकियों की मौत के बाद गोलियों और बम धमाकों की आवाज बिल्कुल थम गई जब काफी समय तक आतंकियों की ओर से कोई रिटल नहीं हुआ तो जवानों में जश्न का माहौल बन गया वहां मौजूद लोग यह मान बैठे कि एयर बेस में केवल चार आतंकी ही थे जिन्हें मार गिराया जा चुका है
डिफेंस फोर्सेस ऑपरेशन को बंद करने का मन बना चुकी थी और इस खबर को दिल्ली तक पहुंचा दिया गया था सरकार के कुछ मिनिस्टर्स ने भी पठानकोट एयरबेस से टेररिस्ट को न्यूट्रलाइज करने के लिए सिक्योरिटी फोर्सेस को धड़ाधड़ बधाई देते हुए कई ट्वीट्स कर दिए लेकिन भारत ने जश्न मनाने में जल्दबाजी कर दी थी यह किसी बड़े खतरे से पहले की शांति थी अभी खेल खत्म नहीं हुआ था सिक्योरिटी फोर्सेस को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि यहां की बड़ी-बड़ी घास और झाड़ियों में दो और आतंकी बहुत पहले से चुपचाप सही मौके के इंतजार में बैठे हुए हैं इन आतंकियों के पास मॉर्फिन इंजेक्शन, पके हुए चिकन और रोटियों के कुछ पैकेट थे, जिनके सहारे वोह कई दिन तक बिना बाहर आए सरवाइव कर सकते थे लेकिन इन बातों से अनजान एनएसजी ने ऑपरेशन को खत्म मानकर यहां के पूरे एरिया को सैनिटाइज करना शुरू कर दिया
3 जनवरी की सुबह बॉम स्क्ड के कमांडिंग ऑफिसर लूटने कर्नल निरंजन ने अपनी टीम के साथ मरे हुए आतंकियों के शरीर पर बंधे एक्सप्लोसिव और ग्रेनेड को डिफ्यूज करने का काम शुरू किया थोड़ी ही देर में तीन आतंकियों के एक्सप्लोजिव्स को डिफ्यूज किया जा चुका था लेकिन लूटने कर्नल निरंजन ने जैसे ही चौथे आतंकी के शरीर से बम को डिफ्यूज करने की कोशिश की आतंकी के शरीर पर लगा एक्सप्लोसिव ब्लास्ट हो गया लूटने कर्नल निरंजन ने बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखी थी लेकिन धमाके की इंटेंसिटी इतनी ज्यादा थी कि उनकी जान नहीं बच सकी इस विस्फोट से पांच अन्य कमांडोज भी बुरी तरह घायल हो गए लूटने कर्नल निरंजन के शहीद होने से पठानकोट एयरबेस एक बार फिर से सहम गया
इसी का फायदा उठाकर अभी तक काफी समय से छिपे बैठे दोनों आतंकियों ने सुबह 10 से 11 बजे के आसपास एयर बेस के एक दूसरे ब्लॉक से अचानक जवानों पर गोलीबारी शुरू कर दी इस ब्लॉक की पहली मंजिल पर छह डिफेंस पर्सनेल भी मौजूद थे यदि आतंकवादी उन्हें हॉस्टेस बना लेते तो उनकी जान के बदले में वह भारत से बर्गे कर सकते थे लेकिन किस्मत से आतंकियों को इसकी खबर नहीं थी इसलिए उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया उनका टारगेट टेक्निकल एरिया को तबाह करने का था उनकी गोलीबारी से सभी जवान एक बार फिर से अलर्ट हो गए साथ ही 80 कमांडोज की दो और एनएसजी यूनिट्स को दिल्ली से पठानकोट एयरलिफ्ट किया गया सबसे पहले उस ब्लॉक में फंसे छह डिफेंस पर्सनेल को सुरक्षित बाहर निकाला गया
इसके बाद एनएसजी और गरुड़ कमांडोज ने मिलकर पूरी बिल्डिंग को चारों तरफ से घेर लिया लेकिन दोनों आतंकी फिर भी कमांडोज की पकड़ में नहीं आए आतंकियों ने पूरे दिन कमांडोज को इधर से उधर उलझाया रखा शाम हो चुकी थी और अंधेरा गिरने लगा था ऐसे में जल्द से जल्द कारवाही करना जरूरी हो गया था आखिरकार एनएसजी कमांडोज ने आतंकियों को रूम के अंदर ही कुचलने के लिए बस्टर टूल्स का इस्तेमाल किया और आतंकी जिस कमरे में छुपे हुए थे उसके दरवाजे उड़ा दिए इसके बाद कमांडोज ने रूम के भीतर कैनन फायर किया जिसकी चपेट में आकर दोनों आतंकी जल्द ही मारे गए, इन दोनों आतंकियों के खत्म होते ही पठानकोट एयरबेस पूरी तरह से सुरक्षित था लेकिन कंट्रोल रूम इस सफलता की सूचना दिल्ली भेजने में इस बार जल्दबाजी नहीं करना चाहता था एनएसजी कमांडोज ने एयरबेस के चप्पे-चप्पे को खंगालना जारी रखा और लगातार कई घंटों की सर्च के बाद जब उन्हें सब कुछ सही लगा तो आखिरकार 5 जनवरी की दोपहर तक ऑपरेशन बंद कर दिया गया
बेशक छह के छह आतंकियों को मिट्टी में मिलाकर और टेक्निकल एरिया को सेफ रखकर भारत ने आतंकियों का प्लान फेल कर दिया था लेकिन इसके लिए देश के सात जवानों को कुर्बान होना पड़ा था इनमें से एक गरुड़ कमांडो गुरसेवक सिंह भी थे जिनकी शादी को मात्र 45 दिन ही हुए थे अपने जवानों की शहादत से पूरा देश शोक में डूबा हुआ था, सरकार इस हमले के लिए जिम्मेदार एक-एक आतंकी को बेनकाब करना चाहती थी इसलिए जब पठानकोट एयर बेस में आतंकियों को न्यूट्रलाइज करने के लिए जवानों का ऑपरेशन ढांगू चल रहा था उसी दौरान पंजाब पुलिस एसपी सलविंदर सिंह और उसके दोनों साथियों राजेश और मदन गोपाल से पूछताछ कर रही थी, पुलिस जानना चाहती थी कि जिन आतंकियों ने जिसको गला काटकर मार डाला था उन्होंने सलविंदर को आखिर कैसे इतनी आसानी से छोड़ दिया
सलविंदर सिंह की इमेज पहले से ही पुलिस महकमे में खराब थी वहीं उन्होंने इंटेरोगेशन के दौरान भी कई बार अपना बयान बदला जिस कारण पुलिस को उन पर शक था हालांकि बाद में उन्हें इस हमले से क्लीन चिट दे दी गई इसके बाद इस हमले की जांच का जिम्मा नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए ने संभाला एनआईए ने पूरे पठानकोट एयरबेस की काफी बारीकी से जांच की जिसमें एनआईए की टीम को एयर बेस के वेस्टर्न साइड से फेंस कटर रोप वूलन कैप और ग्लव्स मिले जिसके सहारे आतंकियों ने एयरबेस में घुसपैठ की थी
एनआईए को नाले में कुछ जूतों के निशान भी मिले जो मारे गए आतंकियों के जू भूतो से मेल खाते थे साथ ही एजेंसीज ने आतंकियों की कॉल्स को इंटरसेप्ट करके पता लगाया कि सभी आतंकी पाकिस्तान से आए थे और इस पूरे हमले की योजना जयश मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर और उसके भाई मुफ्ती अब्दुल रफ अजगर ने बनाई थी हमले के दौरान उन्हें पाकिस्तान से काशिफ जान गाइड कर रहा था और उनकी छ महीनों तक बहावलपुर में अशफाक अहमद और हाजी अब्दुल शकूर ने ट्रेनिंग करवाई थी
जयश मोहम्मद ने उन छह आतंकियों की मिलिट्री जैसी सख्त ट्रेनिंग के बाद ठानकोट एयर बेस को दहलाने के लिए एक आत्मघाती मिशन पर भेज दिया था लेकिन जयश मोहम्मद का मकसद इस तरह केवल भारत के एयर बेस को नुकसान पहुंचाने का नहीं था बल्कि जैश इस बार एक तीर से दो निशाने लगाना चाहता था दरअसल उस समय भारत और पाकिस्तान अपने संबंधों को संभालने में लगे हुए थे, इस हमले से केवल 6 दिन पहले ही 25 दिसंबर 2015 को नरेंद्र मोदी काबुल से लौटते वक्त अचानक से पाकिस्तान के लाहौर जा पहुंचे थे और पाकिस्तानी प्राइम मिनिस्टर नवाज शरीफ से मुलाकात की थी नरेंद्र मोदी इस दौरान लाहौर में शरीफ के पाकिस्तान समारोह में भी शामिल हुए थे यह 2004 के बाद पहला मौका था जब भारत के प्राइम मिनिस्टर ने पाकिस्तान का दौरा किया था
नरेंद्र मोदी ऐसा करके सालों से बिगड़ते रिश्ते को फिर से पटरी पर लाना चाहते थे लेकिन इस तरह दोनों देशों की नजदीकियों को जयश मोहम्मद ने अपने एसिस्टेंसिया पावर को कम करने के साथ-साथ भारत और पाकिस्तान के बीच उभर रही दोस्ती पर चोट करना था इस अटैक में जयश मोहम्मद का हाथ होने की वजह से इंडिया पाकिस्तान के बीच जो शांति की राह बन रही थी वह टूट गई और भारत ने किसी भी तरह की पीस टॉक्स को तुरंत पोस्टपोन कर दिया
इंडिया ने पाकिस्तान पर टेररिज्म के खिलाफ एक्शन लेने का प्रेशर बनाया जिसके चलते पाकिस्तान ने कुछ कार्रवाई भी की और जयश मोहम्मद के कई मेंबर्स को अरेस्ट कर लिया मसूद अजहर को प्रोटेक्टिव कस्टडी में रखा गया हालांकि उसे कहां रखा गया है इसकी जानकारी किसी को नहीं दी गई आगे चलकर इंसफिशिएंट एविडेंस का हवाला देकर पाकिस्तान ने मसूद अजहर को रिलीज कर दिया जिससे भारत की नाराजगी और बढ़ गई
भारत ने जब पाकिस्तान पर और प्रेशर डाला तो पाकिस्तान ने हमले की जांच के लिए मार्च 2016 में अपनी एक पांच सदस्य जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम को भारत की परमिशन से पठानकोट भेजा दी, कई दिन तक पाकिस्तान की इन्वेस्टिगेशन टीम ने यहां से कई एविडेंस कलेक्ट किए और इस दौरान कुछ विटनेसेस के स्टेटमेंट्स भी रिकॉर्ड किए इसके बाद अपनी जांच पूरी करके के यह टीम वापस पाकिस्तान लौट गई
पाकिस्तान पहुंचते ही इस टीम में शामिल लोगों ने अपना असली रंग दिखाना शुरू किया और यह दावा किया कि ये अटैक इंडिया द्वारा किया गया फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन था जिसका मोटिव केवल पाकिस्तान को बदनाम करने का था जब पाकिस्तान की जॉइंट इन्वेस्टिगेशन टीम ने पठानकोट अटैक की इन्वेस्टिगेशन के लिए इंडिया आने का प्रपोजल दिया था तो दोनों देशों के बीच यह म्यूचुअल डिसाइड हुआ था कि उनकी विजिट के बाद एनआईए की भी एक टीम पाकिस्तान आकर इसकी इन्वेस्टिगेशन करेगी लेकिन इसके बाद पाकिस्तान ने भारत को जांच का भरोसा तो दिया लेकिन बाद में पाकिस्तान अपने वादे से मुकर गया इसको लेकर फॉरेन मिनिस्टर सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि जब तक पाकिस्तान पठानकोट अटैक पर कॉंक्रीट स्टेप्स नहीं उठाता तब तक दोनों देशों के बीच कोई भी डायलॉग संभव नहीं होगा
क्योंकि टेररिज्म और पीस टॉक दोनों एक साथ नहीं चल सकते हालांकि पाकिस्तान ने फिर भी कोऑपरेट नहीं किया भले ही पाकिस्तान के कोऑपरेट ना करने से इंडि गवर्नमेंट का रुख उसकी तरफ फिर से सख्त हो गया था
लेकिन इस पूरी सिचुएशन में इंडियन सिक्योरिटी सिस्टम की लापरवाही को लेकर भी सवाल उठ रहे थे हमले के पहले तक पठानकोट एयरबेस की सुरक्षा काफी कमजोर थी एयरबेस की दीवार के चारों ओर गश्त के लिए कोई सड़क नहीं थी और उसकी दीवार कई जगह से सिविलियंस के मकानों से सटी हुई थी हैरानी की बात यह थी कि इसके बावजूद एयरफोर्स ने इस एयर बेस के आसपास एंक्रोचमेंट रोकने का कोई प्रयास नहीं किया था जिस कारण आतंकियों द्वारा यहां किसी भी वक्त एक बड़ा हमला पॉसिबल था
भारत की इंटेलिजेंस एजेंसीज महीनों से भारत पर कोई बड़े आतंकी हमले की आशंका जता रही थी और हमले से कुछ महीने पहले तक भारत में पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई के कई एजेंट्स अरेस्ट किए जा चुके थे पठानकोट हमले से केवल 1 एक महीने पहले बीएसएफ के हेड कांस्टेबल अब्दुल रशीद को आईएसआई के लिए जासूसी करने के जुर्म में दिल्ली पुलिस ने जम्मू एंड कश्मीर से अरेस्ट किया था अब्दुल रशीद और उसके रिलेटिव कफा उल्लाह खान कई महीनों से आईएसआई के कांटेक्ट में थे
और अरेस्ट होने से पहले दोनों भारतीय सेना की कई इंपॉर्टेंट इंफॉर्मेशन आईएसआई को दे चुके थे इसके अलावा शेख मोगल और मोहम्मद एजाज को भी कोलकाता और मेरठ से आईएसआई के लिए जासूसी करते हुए पकड़ा गया था जबकि दिसंबर 2015 में पोखर से एक्स आर्मी मैन गोवर्धन सिंह भी पकड़ा गया जो सालों से भारतीय डिफेंस फोर्स की इंपॉर्टेंट इंफॉर्मेशन आईएसआई तक पहुंचा रहा था
इसके अलावा पठानकोट हमले से पहले एयरमैन रंजीत केके को भी दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच मिलिट्री इंटेलिजेंस और एयरफोर्स की एक यूनिट ने अपने जॉइंट ऑपरेशन के जरिए भटिंडा एयर बेस से आईएसआई के लिए जासूसी करने के जुर्म में अरेस्ट किया था रंजीत केके जो 2010 से ही भटिंडा एयर बेस में तैनात था उसे दामिनी मैडॉट नाम की एक महिला आईएसआई एजेंट ने facebook's की सेंसिटिव इंफॉर्मेशन हासिल करने के लिए कहा अरेस्ट होने से पहले तक रंजीत केके कई एयर बेस की फाइटर एयरक्राफ्ट की संख्या और ट्रांसपोर्टेबल रेडा यूनिट्स की एग्जैक्ट लोकेशन की जानकारी आईएसआई तक पहुंचा चुका था
आईएसआई ने उससे वेस्टर्न एंड नदन एयर कमांड्स में चलने वाली लाइव एयर एक्सरसाइजस और इंदिरा इंडिया रशिया मिलिट्री एक्सरसाइजस से जुड़ी जानकारी भी मांगी थी लेकिन उससे पहले ही वह गिरफ्तार कर लिया गया था एक साल में इतने बड़े स्केल पर देश से आईएसआई के कई एजेंट्स के पकड़े जाने से स्पष्ट था कि पाकिस्तान बेस टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशंस इंडियन एयर बेस पर जरूर कोई बड़ा हमला प्लान कर रहे थे
हमले से पहले इंडियन डिफेंस फोर्सेस के पास एसपी सलविंदर और राजेश वर्मा की गवाही से लेकर उनकी कार का आतंकियों द्वारा पठानकोट एयर बेस के केवल 500 मीटर के दायरे में खड़ी करने तक कई इंफॉर्मेशन थी लेकिन इसके बावजूद आतंकी पठानकोट एयरबेस की सुरक्षा में सेंध लगाकर घुसने में सफल हो गए थे बाद में मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने इस हमले की जांच के लिए एक स्टैंडिंग कमेटी बनाई
कमेटी ने भी पठानकोट एयरबेस को विजिट करके अपनी रिपोर्ट में इंडियन डिफेंस फोर्सेस की लापरवाही को लेकर फटकारा। स्टैंडिंग कमेटी का कहना था कि अगर सेंटर इस मामले को गंभीरता से लेता और इंटेलिजेंस एजेंसीज ने सही तरीके से काम किया होता तो आतंकी कभी एयर बेस में घुस ही नहीं पाते कमेटी ने आगे कहा कि इतने टेरर अलर्ट्स के बावजूद आतंकियों का पठानकोट एयर बेस में घुसना और वहां गोलीबारी करना इंटेलिजेंस एजेंसीज और सिक्योरिटी फोर्सेस के बीच के लैक ऑफ कोऑर्डिनेशन को दर्शाता है सिक्योरिटी एजेंसीज ना तो समय रहते खतरे को भांप सकी और ना ही तेजी से एक्शन ले सकी हालांकि आतंकियों के एयर बेस में घुसने के बाद भारतीय जवानों ने उनका सामना काफी अच्छे से किया जवानों की वजह से जयश मोहम्मद के आतंकी एयर बेस के टेक्निकल एरिया तक नहीं पहुंच पाए थे
जिस वजह से एयरफोर्स का बड़ा नुकसान होते-होते बचा था जयश मोहम्मद का यह मंसूबा भले ही नाकाम रहा लेकिन वह जो दरार भारत और पाकिस्तान के बीच चाहता था वो दरार इस हमले के बाद दोनों देशों में फिर से आ चुकी थी जयश मोहम्मद यहीं नहीं रुका बल्कि इस हमले के केवल 8 महीने बाद उरी अटैक और करीब 3 साल बाद पुलवामा अटैक को अंजाम देकर उसने दोनों देशों के बीच तनाव की एक गहरी खाई खोद दी
भारत ने भले ही पठानकोट अटैक के जवाब में पाकिस्तान और जयश मोहम्मद के खिलाफ कोई मिलिट्री एक्शन नहीं लिया लेकिन उरी अटैक और पुलवामा अटैक के जवाब में भारत ने दुश्मन के घर में घुसकर उसको सबक सिखाया।